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कृष्णाष्टमी को लेकर भ्रम, दो दिन मनाया जाएगा जन्मोत्सव

पूरे विश्व को अपनी लीलाओं से चमत्कृत करने वाले भगवान श्रीकृष्ण का 5242वां जन्मदिवस पांच सितंबर को भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी की अर्धरात्रि में मनाया जाएगा। लेकिन काशी के कुछ पंचांगों के अनुसार, छह सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।

By Test1 Test1Edited By: Published: Thu, 03 Sep 2015 09:04 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2015 11:24 AM (IST)

मथुरा। पूरे विश्व को अपनी लीलाओं से चमत्कृत करने वाले भगवान श्रीकृष्ण का 5242वां जन्मदिवस पांच सितंबर को भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी की अर्धरात्रि में मनाया जाएगा। लेकिन काशी के कुछ पंचांगों के अनुसार, छह सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।

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पंचांगों के मतांतर के कारण मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान और द्वारिकाधीश मंदिर समेत अधिकांश बृजवासी पांच सितंबर और वृंदावन के बांके बिहारी, राधारमण मंदिर और शाहजी मंदिर समेत कुछ अन्य मंदिरों में रविवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनायी जाएगी।

पचास साल बाद बन रहा एेसा संयोग

श्रीकृष्ण जन्मस्थान स्थित कंस के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण ने अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में अवतार लिया था। पचास साल बाद एक बार फिर ऐसा शुभ मुहूर्त पांच सितंबर को बन रहा है। जब दिन, तिथि, वार और नक्षत्र के अलावा तीन खास योग भी बनेंगे। गोविंद देव पंचांग के निदेशक ज्योतिषी आचार्य कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी बताते हैं कि दृश्य पंचांग के अनुसार पांच सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। लेकिन काशी के पंचांगों की गणना से छह सितंबर को भी जन्माष्टमी मनाई जाएगी। यह तिथि मान में 6.24 घंटे के अंतर के कारण हुआ है। पांच सितंबर सुबह 3.56 बजे अष्टमी तिथि लगेगी और अगली सुबह रविवार 3.02 बजे तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र पांच सितंबर (4 सितंबर की रात) की सुबह 12.26 बजे आएगा और अगली रात यानि श्रीकृष्ण के जन्म समय तक रहेगा। इस बार जन्माष्टमी पर शनिवार का सूर्योदय अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में होगा।


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