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चलिए जानें क्‍या होते हैं मूल नक्षत्र

सरल भाषा में समझें तो दो नक्षत्रों में अलगाव और जुड़ाव होता है मूल। 10 नवंबर की दोपहर 12बज कर 25 मिनट पर द्वंद मूल की शुरूआत हो गई है।

By Molly SethEdited By: Published: Fri, 10 Nov 2017 03:48 PM (IST)Updated: Fri, 10 Nov 2017 03:49 PM (IST)
चलिए जानें क्‍या होते हैं मूल नक्षत्र

 शुरू हुए मूल 

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10 नवंबर 2017 को दोपहर 12 बज 25 मिनट से द्वंदमूल की शुरूआत हो गई है और ये रविवार को 11 बज कर 32 मिनट तक रहेंगे। मूल नक्षत्र का स्वामी केतु है  और राशि स्वामी गुरु है। जब केतु गुरु धनु राशि में उच्च का होता है तो इसकी दशा 7 वर्ष की होती है। इस के बाद सर्वाधिक 20 वर्ष की दशा शुक्र की लगती है । जीवन में इन्ही दशाओं का महत्व अधिक होता है। यह दशा इनके जीवन में विद्या भाव को बढ़ाने वाली होती है और इसी दशा में बचपन से युवावस्था आती है। उपरोक्‍त अवधि में यदि कोई बच्‍चा जन्‍म लेता है तो उस शिशु का जन्‍म मूल नक्षत्र में होता है। 

अपने आप में शुभ अशुभ नहीं होते मूल 

पंडित दीपक पांडे की मानें तो मूल अपने आप में अशुभ नहीं होते उनका किन ग्रहों, राशियों या नक्षत्रों से योग होता है उसके अनुसार उनका प्रभाव निश्‍चित होता है। ज्योतिषशास्त्र में गण्डमूल नक्षत्र के अंतर्गत अश्विनी, रेवती, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र को रखा गया है। अगर बच्चे का जन्म गण्डमूल नक्षत्र में हो तो एक महीने के अंदर जब भी वह नक्षत्र लौटकर आए तो उस दिन गण्डमूल नक्षत्र की शांति करा लेनी चाहिए। अन्यथा इसका अशुभ परिणाम हो सकता है। शतपथ ब्राह्मण और तैत्तिरीय ब्राह्मण नामक ग्रंथ में बताया गया है कुछ स्थितियों में यह दोष अपने आप समाप्त हो जाता है। इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले व्यक्ति खुद के लिए भाग्यशाली होता है। व्यक्ति का जन्म अगर वृष, सिंह, वृश्चिक अथवा कुंभ लग्न में हो तब मूल नक्षत्र में जन्म होने पर भी इसका अशुभ फल प्राप्त नहीं होता है।

राहु केतु का प्रभाव 

केतु एक छाया ग्रह है पुराणिक मतानुसार यह राहु का धड़ है, जबकि वैज्ञानिक दृष्टि से यह दक्षिणी ध्रुव का कोना है। यह धनु राशि में उच्च, मिथुन में नीच का, मीन में स्वराशिस्थ और कन्या में शत्रु राशिस्थ होता है। केतु स्वतंत्र फल देने में सक्षम नहीं होता यह जिसके साथ होगा वैसा परिणाम देगा। धनु में केतु व गुरु भी साथ हो या मीन राशि में या कर्क में उच्च का हो तो उसके प्रभाव को दुगना कर जहाँ भी स्थित होगा उत्तम परिणाम देगा। इसमें जन्‍म लेने वाला जातक ईमानदार लेकिन जिद्दी स्वभाव का होगा। ये लोग वकील, जज, बैंक कर्मी, प्रशासनिक सेवाओं में, कपड़ा व्यापार, किराना आदि के क्षेत्र में सफल होते हैं।


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