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नवदुर्गा के हर रूप की है अलग कहानी, इन मंत्रों से खुश होंगी माता रानी

नवरात्र के नौ दिन देवियों के अलग-अलग विशेष रूप की पूजा की जाती है। नवदुर्गा के हर रूप की है अलग-अलग कहानी है। इन मंत्रों का जाप कर पाएं सभी देव‍ियों की व‍िशेष कृपा...

By shweta.mishraEdited By: Published: Thu, 21 Sep 2017 12:22 PM (IST)Updated: Thu, 21 Sep 2017 12:22 PM (IST)
नवदुर्गा के हर रूप की है अलग कहानी, इन मंत्रों से खुश होंगी माता रानी

1-देवी शैलपुत्री 
वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्घतशेखराम।
वृषारुढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् ।।

नवरात्र के पहले द‍िन शैलपुत्री देवी की पूजा होती है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार देवी का यह नाम हिमालय के यहां जन्म होने के कारण पड़ा। हिमालय शक्ति, दृढ़ता, आधार व स्थिरता का प्रतीक माना जाता है। मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। नवरात्र के प्रथम दिन योगीजन अपनी शक्ति मूलाधार में स्थित करते हैं और इनकी योग साधना करते हैं। 

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2-देवी ब्रह्मचारिणी 

करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू ।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ।। 

दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ब्रह्मचारिणी देवी ब्रह्म शक्ति यानि तप की शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। इनकी आराधना करने वाले भक्‍तों की तप करने की शक्ति बढ़ जाती है। ब्रह्मचारिणी देवी की आराधना से सभी मनोवांछित कार्य पूरे होते हैं। ब्रह्मशक्ति यानी समझने और तप करने की शक्ति के लिए इस दिन शक्ति का स्मरण करें। सर्वत्र सिद्धि और विजय प्राप्त होती है।

 

3-देवी चंद्रघंटा 

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता । 

प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा देवी की पूजा होती है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है। ज‍िससे इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। यह शक्ति माता का शिवदूती स्वरूप है। माता चंद्रघंटा ने असुरों के साथ युद्ध में घंटे की टंकार से असुरों का नाश कर दिया था। इस द‍िन आराधना से भक्‍तों को मां की व‍िशेष कृपा म‍िलती है। इसके साथ ही उन्‍हें जीवन में कष्टों से मुक्ति मिलती है। 

4-देवी कूष्माण्डा 

रूधिराप्लुतमेव च । 

दधानां हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ।। 

नवरात्रके चौथे दिन की मां कुष्मांडा देवी की पूजा होती है। ​मां दुर्गा के इस चतुर्थ रूप कुष्मांडा ने अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न किया। इसी वजह से मां के इस स्वरूप का नाम कुष्मांडा पड़ा है। इनकी उपासना करने से धन-धान्य और संपदा के साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। यह देवी रोगों को तत्काल नष्ट करने वाली हैं। भौतिक और आध्यात्मिक सुख प्राप्त होते हैं।

 

5-देवी स्कन्दमाता 

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया । 

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ।। 

पंचमी तिथि को मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। देवासुर संग्राम सेनापति भगवान स्कन्द की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है। सैन्य संचालन की शक्ति के ल‍िए लिए स्कंदमाता की पूजा-आराधना करनी चाहिए। यह भक्तों को सुख-शांति प्रदान करने वाली देवी हैं। स्कंदमाता शक्ति, परम शांति और सुख का अनुभव कराती है।

6-देवी कात्यायनी 

चन्द्रहासोज्वलकरा शार्दूलवरवाहना । 

कात्यायनी शुभं दघाद्देवी दानवघातिनी ।। 

नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के छठे रूप यानी कात्यायनी की पूजा-अर्चना होती है। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए इनका नाम कात्यायनी देवी पड़ा था। माता कात्यायनी की उपासना से इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज का अहसास होता है। भक्‍त के रोग, शोक, भय आदि विनष्ट हो जाते हैं।

7-देवी कालरात्रि 

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। 

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी । 

वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।

वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी ।। 

सातवें द‍िन मां के सातवें स्‍वरूप कालरात्रि‍ की पूजा होती होती है। मां कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं। इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। मां कालरात्रि की आराधना से भय, कष्‍ट दूर हो जाते हैं। शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती है। इसके अलावा जीवन की सभी समस्याओं को स्‍वत: हल करने की शक्ति प्राप्त हो जाती है। 

8-देवी महागौरी 

समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि: । 

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया ।। 

आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी देवी का है। मां के इस महागौरी रूप की पूजा नवरात्र के आठवें दिन की जाती है। मां महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। श्री महागौरी की आराधना से उनके भक्‍त शक्‍त‍िशाली होते हैं। महागौरी को प्रसन्न कर लेने पर भक्तों को सभी सुख स्वतः ही प्राप्त हो जाते हैं। इसके अलावा मन को शांति भी मिलती है।

9-देवी सिद्धिदात्री 

सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि । 

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ।।

नवरात्र के अंतिम दिन यानि नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। मां दुर्गा अपने इस सिद्धिदात्री स्‍वरूप में भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं। इस द‍िन भक्‍तों द्वारा व‍िशेष पूजा करने से व‍िभ‍िन्‍न प्रकार की स‍िद्धि‍यों की प्राप्‍त होती है। माता सिद्धिदात्री के आशीर्वाद के बाद श्रद्धालु के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रह जाता है। इसके अलावा भक्‍तों को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। 


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