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भारतीय संस्कृति ही श्रेष्ठ है

परम पूज्य श्रमणाचार्य एवं जीवन है पानी की बूंद के रचियता विमर्शसागरजी महाराज के मंगल सानिध्य में समवसरण जिनबिम्ब पंचकल्याण प्रतिष्ठा, त्रय गजरथ परिक्रमा तथा विश्वशांति महायज्ञ के चौथे दिन अयोध्या मे महाराजा नाभिराय का दरबार लगाया गया। पंचकल्याण महोत्सव के अवसर पर कार्यक्रम स्थल मानस मंच पर महाराज इंद्र की

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2015 03:11 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2015 03:19 PM (IST)
भारतीय संस्कृति ही श्रेष्ठ है

टीकमगढ़। परम पूज्य श्रमणाचार्य एवं जीवन है पानी की बूंद के रचियता विमर्शसागरजी महाराज के मंगल सानिध्य में समवसरण जिनबिम्ब पंचकल्याण प्रतिष्ठा, त्रय गजरथ परिक्रमा तथा विश्वशांति महायज्ञ के चौथे दिन अयोध्या मे महाराजा नाभिराय का दरबार लगाया गया। पंचकल्याण महोत्सव के अवसर पर कार्यक्रम स्थल मानस मंच पर महाराज इंद्र की आज्ञा से देवों ने अयोध्या नगरी के रचना की। इस मौके पर माता ने सोलह स्वप्न देखे। वही गुरूवार को रात्रि में अयोध्या के महाराज नाभिराय के दरबार में उनकी मंत्री परिषद की बैठक हुई जिसमे राजकाज की समीक्षा की गई।

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कार्यक्रम के दौरान ही गर्भकल्याणक के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। इस मौके पर समाज की महिलाओ तथा पुरूषों का सैलाव राजेन्द्र पार्क मे उमड़ पड़ा। कार्यक्रम स्थल पर चारो और धर्म पताकाएं ही दिखाई दे रही थी, वहीं पूरा पंडाल महाराजजी के उदघोषो से गुंजायमान हो रहा था। बेटी बचाओ का दिया संदेश पंचकल्याण महोत्सव के अवसर पर मानस मंच पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रंखला पर लघु नाटिका बेटी बचाओं का मनोहारी मंचन बाहर से आए कलाकारों ने किया। उत्तरप्रदेश के बिजनौर से आए मनोज शर्मा ने जब बेटी वचाओं की मनोहारी प्रस्तुति दी तो पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

इस लघु नाटक में दिखाया गया कि एक पिता अपनी संस्कारवान बेटी का विवाह कर प्रसन्न होता है, लेकिन ससुराल जाने के उपरांत जब उसकी बेटी गर्भवती होती है तो उसका पति गर्भ गिराने की बात अपनी पत्नि से करता है। क्योंकि उसका पति पश्चिमी सभ्यता और पैसो की लालच में विदेश चला जाता है, मां अपनी बेटी को जन्म देकर संस्कारित करती है, और बेटी के बड़े होने पर उसके नाना और मां उसका रिश्ता तय कर देते है, तब पश्चिमी सभ्यता में डूबे पति का मोह भंग होता है, और फिर उसे ज्ञात होता है कि भारतीय संस्कृति ही श्रेष्ठ है। क्योंकि बेटा और बेटी होने मे फर्क नहीं होता, उन्हें संस्कारवान बनाओं। बेटिया आज देश का नाम रोशन कर रही है, वही महावीर का संदेश घर-घर पहुंचाने तथा खुद जिओ और जीने दो का नारा बुलंद कर रही है। बेटी बचाओं की प्रस्तुत पर महिलाओं सहित पुरूषों की आंखो से अश्रुधारा बह निकली।


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