इन साढ़े तीन मुहूर्त में कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है इसका कोई दोष नहीं लगता
विवाह के लिए कारक माने जाने वाले महत्वपूर्ण शुक्र ग्रह के आकाश मंडल में स्थित न होने से विवाह संस्कार संपन्न नहीं किया जाता इसलिए मई और जून दो माह तक विवाह मुहूर्त
विवाह के लिए कारक माने जाने वाले महत्वपूर्ण शुक्र ग्रह के आकाश मंडल में स्थित न होने से विवाह संस्कार संपन्न नहीं किया जाता इसलिए मई और जून दो माह तक विवाह मुहूर्त नहीं है किन्तु इस बीच पड़ रही अक्षय तृतीया को (अबूझ मुहूर्त) विवाह किया जा सकेगा।
शुक्र ग्रह 28 अपै्रल को अस्त हो रहा है और 9 जुलाई तक अस्त रहेगा इसलिए इस अवधि में शादी-ब्याह का कोई मुहूर्त नहीं है। पंचांगों में मई-जून में विवाह मुहूर्त का उल्लेख नहीं है इसलिए पंचांगों पर विश्वास करने वाले लोगों के मन में इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति है कि अक्षय तृतीया पर ब्याह किया जा सकेगा अथवा नहीं। श्रेष्ठ मुहूर्त सभी दोषों को हर लेता है इस संबंध में पं. कहते हैं कि भले ही पंचांगों में अक्षय तृतीया पर मुहूर्त का उल्लेख नहीं है लेकिन शास्त्रों में इसे अबूझ मुहूर्त माना गया है अतः विवाह संस्कार संपन्न किया जा सकता है।
शास्त्रीय मान्यता है कि वर्ष का दोष श्रेष्ठ माह समाप्त कर देता है और माह में दोष हो तो श्रेष्ठ दिन उस दोष को समाप्त कर देता है। इसी तरह किसी दिन कोई दोष हो तो श्रेष्ठ लग्न और लग्न के दोष को श्रेष्ठ मुहूर्त समाप्त कर देता है। इस तरह देखा जाए तो मुहूर्त श्रेष्ठ होने पर वर्ष, मास, दिन व लग्न के सभी दोष स्वतः समाप्त हो जाते हैं। पूरे वर्ष साढ़े तीन मुहूर्त अबूझ मुहूर्त मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, विजया दशमी, अक्षय तृतीया ये पूर्ण मुहूर्त हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को आधा श्रेष्ठ मुहूर्त कहा जाता है, इस तरह यह तिथियां साढ़े तीन मुहूर्त कहलाती हैं। ये स्वयं सिद्ध और अक्षय मुहूर्त हैं। इन साढ़े तीन मुहूर्त में कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है इसका कोई दोष नहीं लगता। अक्षय मुहूर्त में भले ही विवाह के कारक ग्रह गुरु, शुक्र व शनि अस्त हो तो भी शुभ कार्यों को मान्य किया गया है।