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नवरात्र में इन 5 चीजों को करने से आती है घर में सुख-समृद्धि‍

नवरात्र एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। इन द‍िनों कलश स्‍थापना, उपवास, सप्‍तशती का पाठ, कन्‍या पूजन व रात्रि‍ जागरण का व‍िशेष महत्‍व है। जानें क्‍यों...

By Shweta MishraEdited By: Published: Tue, 26 Sep 2017 11:23 AM (IST)Updated: Tue, 26 Sep 2017 02:11 PM (IST)
नवरात्र में इन 5 चीजों को करने से आती है घर में सुख-समृद्धि‍

कलश स्‍थापना: 

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हिंदू धर्म में सभी धार्मिक कार्यों में कलश की स्‍थापना होती है। इसे देवी-देवता की शक्ति, तीर्थस्थान आदि का प्रतीक माना जाता है। कलश स्‍थापना से सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं की पूर्ति होती है। कलश हमेशा तांबे, मिट्टी व पीतल का शुभ होता है। मान्‍यता है कि कलश के मुख में विष्णुजी, कंठ में शंकर ही और मूल में ब्रह्मा जी हैं। वहीं मध्य भाग में में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं। 

सप्‍तशती का पाठ: 

नवरात्र में नौ दिनों माता के विभिन्‍न स्‍वरूपों की पूजा आराधना के साथ दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करना शुभ माना जाता है। नवरात्र में दुर्गा सप्‍तशती के 13 अध्‍यायों का पाठ करने से भक्‍तों की सभी इच्‍छाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा चिंताएं दूर होती, शत्रुओं का नाश, मुकदमे में विजय, बुरे स्वप्नों व भूत प्रेत बाधाओं से छुटकारा, अकूत धन लाभ, रोगो से मुक्‍ति है। इतना ही नहीं समाज में मान-सम्मान भी बढ़ता है। 

कन्‍या पूजन: 

हिंदू धर्म में कन्‍याओं को देवी स्‍वरूप माना जाता है। ऐसे में स‍िर्फ नवरात्र ही नहीं इनका हमेशा सम्‍मान होना जरूरी है। कहते हैं ज‍िन माता-प‍िता के कन्‍या होती है वे भाग्‍यशाली होते हैं। मान्‍यता है कि‍ इन नवरात्र कन्याओं को घर पर आमंत्रि‍त करें। इसके बाद उन्‍हें घर पर देवियों की तरह आदर सत्कार देकर भोजन कराएं। अंत में दक्ष‍िणा देकर व‍िदाई दें। कन्‍या भोजन से मां दुर्गा ही प्रसन्‍न होकर सुख समृद्ध‍ि का वरदान देती हैं। 

उपवास-अनुष्ठान: 

नवरात्र उपवास के पीछे दो बड़े कारण हैं। आध्‍यात्‍म‍िक कारण नवरात्र के नौ द‍िनों में मां दुर्गा का धरती पर वास होता है। इसल‍िए उपवास अनुष्ठान भी क‍िया जाता है। वैज्ञान‍िक कारण वर्ष के दोनों नवरात्र मौसम पर‍िवर्तन के समय होते हैं। शरीर की प्रति‍रोधक क्षमता कम होती है। इसल‍िए आयुर्वेद के नजर‍िए से मांस, अनाज, शराब, प्याज, लहसुन जैसे खाद्य पदार्थों को खाने से बचना चा‍ह‍िए। उपवास से स्‍वास्‍थ्‍य बेहतर होता है। 

रात्रि‍ जागरण: 

नवरात्र का अर्थ होता है क‍ि नौ रातों का समूह। इन नौ रातों में नवदुर्गा के नौ स्‍वरूपों की पूजा होती है। ऐसे में जो भक्‍त द‍िन में माता रानी का भजन-कीर्तन व ध्‍यान नहीं कर पाते हैं वे भक्‍त रात में जागकर माता रानी की अराधना करते हैं। इसल‍िए नवरात्र में देवी जागरण, भजन-कीर्तन करना शुभ माना जाता हैं। द‍िन में भी मंदि‍रों में भजन-कीर्तन आद‍ि धूमधाम से होते हैं। मां भक्‍तों पर प्रसन्‍न होकर उन्‍हें आशीर्वाद देती हैं।  


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