Move to Jagran APP

संतान के कल्याण के लिए माताएं दिन भर रखती हैं उपवास

उत्तर भारत के अलग अलग अंचलों में अहोई माता का स्वरूप वहां की स्थानीय परंपरा के अनुसार बनता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 21 Oct 2016 04:09 PM (IST)Updated: Sat, 22 Oct 2016 08:47 AM (IST)

करवा चौथ के ठीक चार दिन बाद कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। उत्तर भारत के अलगअलग अंचलों में अहोई माता का स्वरूप वहां की स्थानीय परंपरा के अनुसार बनता है।

loksabha election banner

गेरू की मदद से दीवार पर अहोई बनाई जाती है।

अहोई के चित्रांकन में ज्यादातर आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है। उसी के पास साही तथा उसके बच्चों की आकृतियां बना दी जाती हैं। गोबर से लीपकर जमीन पर कलश की स्थापना कर अहोई माता की पूजा की

जाती है और उन्हें दूध- चावल का भोग भी लगाया जाता है। संतान के कल्याण के लिए माताएं दिन भर उपवास

रखती हैं। सायंकाल में तारे दिखाई देने के समय अहोई का पूजन किया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.