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प्रशासन का दावा स्नानार्थियों की संख्या साढ़े आठ लाख पहुंची

पौष पूर्णिमा स्नान पर्व में हिस्सा लेने के लिए स्नानार्थियों की भीड़ संगम पर लगातार पहुंच रही है। गुरुवार को कड़ाके की ठंड के बीच लगभग दो लाख लोगों ने संगम स्नान किया। इसके साथ ही संगम तट पर एक महीने का धार्मिक प्रवास 'कल्पवास' भी शुरू हो गया। वहीं मंगलवार और बुधवार को मकर संक्रांति स्नान पर्व पर 16 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं न

By Edited By: Published: Fri, 17 Jan 2014 01:46 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2014 02:08 PM (IST)

इलाहाबाद। पौष पूर्णिमा स्नान पर्व में हिस्सा लेने के लिए स्नानार्थियों की भीड़ संगम पर लगातार पहुंच रही है। गुरुवार को कड़ाके की ठंड के बीच लगभग दो लाख लोगों ने संगम स्नान किया। इसके साथ ही संगम तट पर एक महीने का धार्मिक प्रवास 'कल्पवास' भी शुरू हो गया।

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वहीं मंगलवार और बुधवार को मकर संक्रांति स्नान पर्व पर 16 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने स्नान किया था। बुधवार दोपहर हुई बारिश से थोड़ी परेशानी जरूर हुई, पर इसका असर स्नानार्थियों की आस्था पर नहीं हुआ और लोगों का संगम पर पहुंचना जारी रहा। स्नानार्थियों को स्नान कराने के लिए 12 स्नान घाट बनाए गए हैं।

पौष पूर्णिमा-कड़ाके की ठंड के बीच पौष पुर्णिमा स्नान पर्व पर करीब साढ़े आठ लाख श्रद्धालुओं ने संगम तट पर गंगा स्नान किया। बरसों बाद मकर संक्रांति स्नान पर्व के ठीक तीसरे दिन पौष पुर्णिमा स्नान पर्व का संयोग अपने में अनूठा था। खराब मौसम के कारण अनुमान की अपेक्षा कम भीड़ दिखी।

यह माघ मेला का दूसरा प्रमुख स्नान पर्व था। सभी एक दर्जन घाटों पर सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था थी। संगम के घाट स्नानार्थियों और कल्पवासियों से भेर में ही भर गया था। खराब मौसम के कारण शहरी भीड़ शुरू में नहीं दिखी, मगर एक बजे के बाद सूर्य देव की कृपा हुई तो शहर से भी स्नानार्थियों का रेला संगम तट पर जा पहुंचा। मेला प्रशासन ने दावा किया है कि अपरान्ह दो बजे तक आठ लाख 50 हजार स्नानार्थियों ने त्रिवेणी के पवित्र तट पर स्नान कर पुण्य अर्जित किया।

हालांकि स्नान-ध्यान का सिलसिला शाम तक चलता रहा। शाम चार बजे के बाद सूर्यदेव फिर से बादलों में जा छिपे और ठंड ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया। यहां के सभी मंदिरों में भी काफी भीड़ दिखी। दक्षिण से आए स्नानार्थियों का जमघट शंकर विमान मंडपम और वेणी माधव मंदिर सहित कई प्रमुख मंदिरों में लगा रहा। स्नान और दर्शन के बाद लोग मुदित मन से अपने घरों को लौटे।

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