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अभी शायद ही जगमगाएं गंगोत्री-यमुनोत्री

यात्रा काल में गंगोत्री और यमुनोत्री में रातें रोशन होने की उम्मीद बेहद कम है। वजह यह कि दोनों धामों को बिजली आपूर्ति करने वाली लघु जल विद्युत परियोजाएं बंद पड़ी हैं। शीतकाल में हुए भारी हिमपात से परियोजनाओं को नुकसान पहुंचा ही है, खंभे और तार भी क्षतिग्रस्त हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2015 01:13 PM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2015 01:16 PM (IST)

उत्तरकाशी। यात्रा काल में गंगोत्री और यमुनोत्री में रातें रोशन होने की उम्मीद बेहद कम है। वजह यह कि दोनों धामों को बिजली आपूर्ति करने वाली लघु जल विद्युत परियोजाएं बंद पड़ी हैं। शीतकाल में हुए भारी हिमपात से परियोजनाओं को नुकसान पहुंचा ही है, खंभे और तार भी क्षतिग्रस्त हैं।

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इसके बावजूद परियोजनाओं की जिम्मेदारी संभाल रहे उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) ने अभी हालात का जायजा तक नहीं लिया। ऐसे में अधिकारी यह तक नहीं जानते कि परियोजनाओं को कितनी क्षति पहुंची है। फिर भी उरेडा के परियोजना प्रबंधक मनोज कुमार को विश्वास है कि यात्रा से पहले दोनों धाम जगमगाने लगेंगे। केंद्र सरकार ने भले ही गंगोत्री क्षेत्र को ईको सेंसटिव जोन घोषित कर पर्यावरण बचाने का दंभ भरा हो, लेकिन हालात इसके उलट इशारा कर रहे हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट 21 अप्रैल को खुलने हैं और यहां बिजली व्यवस्था पूरी तरह चौपट है। ऐसे में व्यापारी जेनरेटर सेटों के जरिए रातें रोशन करेंगे। साफ है पर्यावरण बचाने के दावे शायद ही परवान चढ़ें।

दरअसल गंगोत्री के लिए रुद्रगैरा और केदारगंगा लघु जल विद्युत परियोजनाओं से बिजली उत्पादन किया जाता है। इनकी क्षमता क्रमश: 20 और 150 किलोवाट है। यानी कुल 170 किलोवाट बिजली का उत्पादन किया जाता है, जबकि मांग 200 किलोवाट की है। मांग के अनुरुप आपूर्ति न होने पर आमतौर पर व्यापारी और होटल स्वामी जेनरेटर का सहारा लेते हैं, लेकिन इस बार मौसम की मार से स्थिति बदतर है। आमतौर पर सर्दियों में इन परियोजनाओं से उत्पादन नहीं किया जाता। पिछले साल कपाट बंद होने के बाद से ही दोनों परियोजनाएं बंद हैं।

गौरतलब है कि पिछले यात्रा सीजन में भी स्थितियां कुछ ऐसी ही थीं। तब गंगोत्री में यात्रा शुरू होने के एक माह बिजली बहाल की जा सकी थी। यही हाल यमुनोत्री धाम के भी है। यहां भी 200 किलोवॉट की क्षमता वाली हनुमान गंगा लघु जल विद्युत परियोजना की सुध नहीं ली गई है। खंभों और तारों की मरम्मत में भी समय लगना तय है।

यात्रा से पहले ही यमुनोत्री और गंगोत्री में विद्युत आपूर्ति बहाल करने की कोशिश की जाएगी, अभी तक इन परियोजनाओं का निरीक्षण नहीं किया जा सका है लेकिन जल्द ही टीम भेजकर सर्दियों में हुए नुकसान की मरम्मत का काम शुरू कर दिया जाएगा।

मनोज कुमार, परियोजना प्रबंधक, उरेडा, उत्तरकाशीदो दो लघु जल विद्युत परियोजनाओं के बावजूद कपाट खुलने के बाद भी गंगोत्री धाम में अंधेरा कायम रहेगा।


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