आज नवरात्र के चौथे दिन करें माँ कूष्मांडा की पूजा ये रूप अति सुख दायक है
नवरात्रि में हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है जो खुशी, शांति, शक्ति और ज्ञान प्रदान करते हैं।माँ कूष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए इस श्लोक का जाप करना चाहिए।
नवरात्र में चतुर्थ दिन माँ कूष्मांडा की पूजा होती है जिससे आयु, यश, बल व धन प्राप्त होता है नवरात्रि में हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है जो खुशी, शांति, शक्ति और ज्ञान प्रदान करते हैं।माँ कूष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए इस श्लोक का जाप करना चाहिए।
नवरात्रि के इन पावन दिनों में हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है जो जातक को खुशी, शांति, शक्ति और ज्ञान प्रदान करते हैं। वैसे तो मां दुर्गा का हर रूप बहुत सरस होता है। लेकिन मां का कूष्माण्डा रूप बहुत मोहक और मधुर है। नवरात्र के चौथे दिन मां के इस रूप की पूजा होती है। कहते हैं नवरात्र के चौथे दिन साधक का मन 'अदाहत' चक्र में अवस्थित होता है। अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा करनी चाहिए। मां के इस रूप के बारे में पुराणों में जिक्र है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी।
नवरात्र के चौथे दिन ‘कूष्मांडा देवी’ की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि जब चारों तरफ अँधेरा था तब माँ कूष्मांडा देवी ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी। इसलिए इन्हें सृष्टि की आदि स्वरूपा व आदिशक्ति भी कहते हैं। माँ कूष्मांडा का वाहन शेर है। देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए अष्टभुजा भी कहलाई जाती हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं।
आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। संस्कृत भाषा में कूष्माण्डा को कुम्हड़ कहते हैं। बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है। इस कारण से भी माँ कूष्माण्डा कहलाती हैं।
माँ कूष्मांडा सूर्यमंडल के भीतर लोक में निवास करती हैं। वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं।
माँ की आराधना करने से भक्तों के सभी रोग दुःख नष्ट हो जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और धन प्राप्त होता है। माँ कूष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए भक्त को इस श्लोक को कंठस्थ कर नवरात्रि में चतुर्थ दिन इसका जाप करना चाहिए।
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
इस दिन जहाँ तक संभव हो बड़े माथे वाली तेजस्वी विवाहित महिला का पूजन करना चाहिए। उन्हें भोजन में दही, हलवा खिलाना श्रेयस्कर है। इसके बाद फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान भेंट करना चाहिए। जिससे माताजी प्रसन्न होती हैं। और मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
मां दुर्गा का चौथा स्वरूप देवी 'कुष्मांडा' हैं इन्हीं देवी ने की थी ब्रह्मांड की रचना