सावन का पहला सोमवार: विश्वनाथ मंदिर में ही शाम तक 1.50 लाख ने किया दर्शन
काशीपुराधिपति महादेव का जिसमें लगे मन उसमें ही भक्तगण मगन। बाबा की भावना में अपने भाव मिलाते हुए भक्तों ने बाबा को अतिप्रिय सावन मास, खासकर इसके पहले सोमवार को उत्सव की तरह मनाया। उन्हें प्रसन्न करने के हर जतन किए। शिवालयों में श्रद्धा दिखाई और रच-रच कर श्रृंगार किया।
वाराणसी । काशीपुराधिपति महादेव का जिसमें लगे मन उसमें ही भक्तगण मगन। बाबा की भावना में अपने भाव मिलाते हुए भक्तों ने बाबा को अतिप्रिय सावन मास, खासकर इसके पहले सोमवार को उत्सव की तरह मनाया। उन्हें प्रसन्न करने के हर जतन किए। शिवालयों में श्रद्धा दिखाई और रच-रच कर श्रृंगार किया। धतूरा पुष्प-बेल पत्र व दूध जल अर्पित कर मनोकामनाओं का पिटारा उनके चरणों में धर दिया। चेहरे पर झलकते भाव जैसे पाप ताप से मुक्त हो आशीषों से झोली भर लिया। गंगधार से बाबा द्वार तक समरस बयार तो समूची काशी में ऐसा ही खुमार रहा। कांवरिया जत्थे, महिला-पुरुष श्रद्धालु जिसमें वृद्धजन, युवा, किशोरवय और बालमन ने ऐसी रंगत घोली कि काशी पूरी रौ में बम बम बोली। यादव बंधुओं ने परंपरा के अनुसार जुलूस निकाला और बाबा को जलाजल किया। श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार में तो पूर्व संध्या से जो लगी कतार तो सोमवार की शाम तक दर्शनार्थियों का आंकड़ा डेढ़ लाख के पार हो गया।
सावन के पहले सोमवार की भोर में बाबा का जलाभिषेक और दर्शन पूजन के लिए सड़क पर रविवार शाम से ही कतार लगी रही। इसमें कडिय़ां निरंतर जुड़ती रहीं और कतार बढ़ती रही। आसपास की राह आस्था -श्रद्धा के भावों से इस कदर पटी कि तीन किलोमीटर का इलाका एकाकार हो बाबा दरबार हो गया। कांवरिया जत्थे गंगा में डुबकी लगाते और कलश जल भरते और बाबा द्वार पहुंचते रहे। बैरिकेडिंग की बल्लियों में कांवर टांग, जयकार गुंजाते आंखों में पूरी रात काट दी और इंतजार करते रहे। रात 2.30 बजे मंगला आरती की झांकी सजी और बाबा की महिमा के मंत्र गूंज उठे। भोर चार बजे गर्भगृह के पट खुले और लंबे इंतजार के बाद भक्तजन बाबा से मिल विह्वïल हो उठे। पुष्प-पत्र, दूध-जल चढ़ाया और मन में जो कुछ था सब कह डाला। सुबह नौ बजे तक ही 50 हजार से अधिक लोगों ने दर्शन कर लिया। बीच में भोग आरती या विशेष अनुष्ठान- विधान के लिए कतार ठहरी लेकिन कांवरियों के जत्थे और आम श्रद्धालु कतार में जुड़ते, आगे बढ़ते रहे।
चौबेपुर के कैथी स्थित मार्कंडेय महादेव मंदिर में पूर्वांचल व पश्चिमी बिहार समेत विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा। गंगा-गोमती संगम पर स्नान किया और भक्ति गंगा में डुबकी लगाई। मन्नतें मांगीं और पति की दीर्घायु और पुत्र रत्न प्राप्ति की कामना से श्रद्धा भक्ति दिखाई। कांवरियों के जत्थे भी खूब उमड़े, यहां जलाभिषेक कर आगे बढ़े। बीएचयू स्थित विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं का हुजूम भोर से ही उमड़ा। हरहुआ स्थित रामेश्वर धाम, शूल टंकेश्वर, महामृत्युंजय महादेव, गौरीकेदारेश्वर, तिलभांडेश्वर, सारंगनाथ महादेव, कपिलेश्वर महादेव, कर्दमेश्वर महादेव, अगस्तेश्वर, जागेश्वर महादेव, ओंकारेश्वर, नीलकंठेश्वर, ओमकारेश्वर समेत समस्त शिवालयों में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ता रहा।