गौरीकुंड में बनेगी एलिवेटेड रोड
राज्य सरकार ने प्राकृतिक आपदा से तबाह केदार घाटी में अब पुनर्निर्माण मुहिम के दूसरे चरण पर ध्यान केंद्रित कर दिया है। दूसरे चरण में सरकार ने सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच लगभग 7-8 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड सड़क बनाने का फैसला किया है।
देहरादून। राज्य सरकार ने प्राकृतिक आपदा से तबाह केदार घाटी में अब पुनर्निर्माण मुहिम के दूसरे चरण पर ध्यान केंद्रित कर दिया है। दूसरे चरण में सरकार ने सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच लगभग 7-8 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड सड़क बनाने का फैसला किया है।
इसके अतिरिक्त एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिपादन बल) की पांच बटालियन बनाने का निर्णय भी किया गया, जिन्हें संभवत: सोनप्रयाग, जोशीमठ, भटवाड़ी, कपकोट व जौलजीवी में स्थापित किया जाएगा। प्रदेश में आपदा पुनर्निर्माण के लिए प्रदेश सरकार को केंद्र से हाल में ही 290 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मिली है। इसके अलावा विश्व बैंक पोषित योजना के तहत क्षमता विकास के लिए भी 250 करोड़ की मदद को स्वीकृति मिली है, जिसमें से अब तक सिर्फ छह करोड़ रुपये ही जारी हो पाए हैं। एशियन विकास बैंक से सड़कों व पुलों के निर्माण के लिए भी धनराशि मिल रही है। आपदा से तबाह केदारनाथ घाटी में पुनर्निर्माण के प्रथम चरण में ज्यादातर कच्चे निर्माण कार्य ही किए गए हैं, मगर द्वितीय चरण में सरकार ने पक्के व स्थायी निर्माण पर फोकस किया है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार ने इस दिशा में पहल करते हुए सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच भूस्खलन संवेदनशीलता को देखते हुए यहां 7-8 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड सड़क बनाने का निर्णय किया है। साथ ही, लिंचौली से केदारनाथ तक प्रस्तावित रोपवे प्रोजेक्ट को भी धरातल पर आकार देने की तैयारी की है। भीमबली में पुल निर्माण के कार्य में तेजी लाने के निर्देश भी उच्च स्तर से दिए गए हैं। आपदा प्रबंधन के लिहाज से महत्वपूर्ण एसडीआरएफ की प्रदेश में अब तक एक ही बटालियन बनाई गई है। राज्य सरकार ने एसडीआरएफ की कुल पांच बटालियन स्थापित करने का फैसला किया है। सोनप्रयाग, जोशीमठ, भटवाड़ी, कपकोट व जौलजीवी में डिप्टी कमांडेंट स्तर के अफसरों के अधीन इन बटालियन को स्थापित किए जाने की उम्मीद है। साथ ही, एसडीआरएफ के एक-एक कमांडेंट श्रीनगर व अल्मोड़ा में तैनात किए जाने की तैयारी है। सोनप्रयाग में बहुमंजिला पार्किंग के साथ ही एसडीआरएफ व जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कार्यालय स्थापित करने का भी निर्णय किया गया है।
अर्ली वार्निग सिस्टम विकसित करने के लिए चारों धाम समेत धारचूला व कपकोट घाटी में डॉप्लर मौसम केंद्र भी स्थापित करने का निर्णय किया गया है। पुनर्निर्माण के दूसरे चरण में प्रस्तावित इन योजनाओं पर अगले सात-आठ माह में तेजी से काम करने का लक्ष्य तय किया गया है। हालांकि योजनाओं के प्रस्तावों पर अंतिम मंजूरी के लिए जल्द ही कैबिनेट की बैठक में प्रस्तुत किए जाने की उम्मीद है।