धर्माचार्यो की मत भिन्नता घातक
साईं पूजा हो या धर्मातरण का मामला, गंगा-यमुना प्रदूषण जैसे मुद्दों पर धर्माचार्यो का एकमत न होना घातक सिद्ध हो रहा है। एक धर्माचार्य जिसकी पैरवी करते हैं दूसरा उसके विरोध में खड़ा हो जाता है। सनातन धर्म के अनुयायी इससे असमंजस में फंसे रहते हैं, जिससे धार्मिक पतन होता
इलाहाबाद। साईं पूजा हो या धर्मातरण का मामला, गंगा-यमुना प्रदूषण जैसे मुद्दों पर धर्माचार्यो का एकमत न होना घातक सिद्ध हो रहा है। एक धर्माचार्य जिसकी पैरवी करते हैं दूसरा उसके विरोध में खड़ा हो जाता है। सनातन धर्म के अनुयायी इससे असमंजस में फंसे रहते हैं, जिससे धार्मिक पतन होता है।
दंडी संन्यासी समिति के संरक्षक जगद्गुरु स्वामी महेशाश्रम जी महाराज ने गंगोली शिवाला मार्ग स्थित अपने शिविर में उक्त बातें कही। कहा कि आपसी मतभिन्नता के चलते गौ, गंगा-यमुना व गायत्री रक्षा की मुहिम अधर में है, लगातार आवाज उठाने के बावजूद किसी समस्या का समाधान नहीं हुआ। साईं पूजा का विरोध करते हुए कहा कि उनकी प्रतिमा देवी-देवताओं के साथ लगी तो उसका कड़ा विरोध करेंगे। उन्होंने इसके लिए अपने अनुयायियों को निर्देश दिया है कि जहां देवी-देवताओं के साथ सरई की प्रतिमा लगी है उसे हटवाएं। इसको लेकर शासन से भी बात की जाएगी। हां उनके भक्त अगल से सिर्फ साईं की प्रतिमा लगाकर पूजन करना चाहते हैं तो इसमें हमें कोई एतराज नहीं है। लेकिन उस मंदिर में हमारे देवी-देवताओं की प्रतिमा न हो।