धारी देवी मंदिर अपलिफ्टमेंट पर केंद्र की रोक
केंद्रीय पर्यावरण वन मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक धारी देवी मंदिर अपलिफ्टिंग और इससे जुड़े तमाम कामों पर रोक लगा दी है। मंत्रालय ने इस संबंध में श्रीनगर जलविद्युत परियोजना की निर्माणदायी कंपनी को आदेश जारी कर दिए हैं। इस बीच 12 मई को भाजपा नेत्री उमा भारती के वहां पहुंचने की सूचना है। मंत्रालय के
गढ़वाल। केंद्रीय पर्यावरण वन मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक धारी देवी मंदिर अपलिफ्टिंग और इससे जुड़े तमाम कामों पर रोक लगा दी है।
मंत्रालय ने इस संबंध में श्रीनगर जलविद्युत परियोजना की निर्माणदायी कंपनी को आदेश जारी कर दिए हैं। इस बीच 12 मई को भाजपा नेत्री उमा भारती के वहां पहुंचने की सूचना है। मंत्रालय के निदेशक बीबी बर्मन ने इस संबंध में 10 मई को एएचपीसी के सिकंदराबाद(आंध्र प्रदेश) स्थित मुख्यालय को आदेश जारी कर दिए हैं। इस आदेश के बाद अब परियोजना के भविष्य पर भी संकट के बादल गहराते दिख रहे हैं।
गौरतलब है कि, धारी देवी मंदिर अपलिफ्ट करने को लेकर लगभग 95 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुके हैं। 13 मई को मंदिर को करीब 20 मीटर ऊपर उठाने की योजना थी। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रलय की छह सदस्यीय टीम ने एक-दो मई को धारी देवी मंदिर और परियोजना के निर्माण कार्य स्थलों का निरीक्षण किया था। इसके बाद मंत्रलय ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दिया।
कांग्रेस सरकार ने दी धारी देवी शिफ्टिंग को मंजूरी-
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने धारी देवी शिफ्टिंग को लेकर दोपहर को पीएमओ में अपना विरोध दर्ज कराया। उन्होंने वैकल्पिक समाधान न होने तक इससे छेड़छाड़ न किए जाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की पिछली सरकार की मंजूरी के चलते ही धारी देवी शिफ्टिंग प्रक्रिया शुरू की गई थी। श्री निशंक ने कहा कि श्रीनगर जल विद्युत परियोजना का बनना उत्तर प्रदेश के समय में सुनिश्चित हुआ था। 1999 में विद्युत बोर्ड में 200 मेगावाट की परियोजना को स्वीकृत किया गया था। 2006 में कांग्रेस सरकार ने निजी कंपनी को यह परियोजना सौंपी और योजना को 330 मेगावाट का कर दिया। इससे धारी देवी भी डूब क्षेत्र में आ गया। 2010 में उमाभारती के अनशन के बाद तत्कालीन भाजपा सरकार ने यह निर्णय लिया था कि मंदिर को बचाने के लिए मध्यप्रदेश का दौरा किया जाएगा। यहां सागर बांध बनाते समय इसकी परिधि में आने वाले एक मंदिर को बचाया गया था। वहीं कांग्रेस सरकार कभी मंदिर के अपलिफ्टिंग की बात कह रही है तो कभी मूर्ति शिफ्ट करने की। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ने श्रीनगर परियोजना बनाने वाली कंपनी पर लगाए गए 86 करोड़ रुपये जुर्माना न वसूले जाने पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कंपनी पर अवैध खनन को लेकर यह जुर्माना लगाया गया था मगर जिला प्रशासन पौड़ी ने इसे वसूलने में कोई रुचि न दिखाते हुए राजस्व का नुकसान किया है। उन्होंने कहा कि सरकार चारधाम यात्रा व नंदा देवी राजजात को लेकर भी सुस्त है।
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