श्मशान में मिर्ची यज्ञ, ताकि बुरी नजर से बचे सिंहस्थ
अग्नि की तेज आंच आसपास खड़े लोगों को दूर होने के लिए मजबूर कर देती है लेकिन मिर्ची की धांस जरा भी नहीं आती है।
उज्जैन। स्याह अंधेरा, चक्रतीर्थ श्मशान में सात चिताएं जल रही हैं। बीच की खुली जगह में काले कपड़े पहने चार तांत्रिक गुलाल से त्रिकोण आकृति बना रहे हैं। इंतजार होता है मुख्य तांत्रिक का, कुछ देर बाद क्रिया शुरू होती है। काले लिबास में आंखों में काजल लगाकर आने वाला एक तिलकधारी तांत्रिक उड़द के आटे से एक पुतला तैयार करता है। मंत्र भी बुदबुदाने लगता है।
गुलाल की रंगोलीनुमा आकृति पर हवन की तैयारी शुरू होती है। लकड़ियों का घेरा तैयार होता है। दूसरे सिरे पर एक कन्या को बैठाया जाता है। हवन में अग्नि प्रवाहित की जाती है और फिर नमक, मिर्ची हवन में झोंक दी जाती है। अग्नि की तेज आंच आसपास खड़े लोगों को दूर होने के लिए मजबूर कर देती है लेकिन मिर्ची की धांस जरा भी नहीं आती है। आसपास जल रही चिताओं में भी मिर्ची डाली जाती है।
तांत्रिकों का कहना है कि सिंहस्थ को बुरी नजर से बचाने के लिए श्मशान में यज्ञ किया गया। एक क्विंटल नमक, मिर्ची का प्रयोग इसमें किया गया। पहले यह यज्ञ विक्रांत भैरव श्मशान घाट पर होने वाला था, वहां तांत्रिक पहुंच भी गए थे, लेकिन एक भी शव का अंतिम संस्कार वहां नहीं हो पाया। इसके बाद हवन का स्थान बदल कर चक्रतीर्थ श्मशान किया गया। यज्ञ को देखने के लिए कई लोगों का मजमाभी यहां लगा रहा।