चातुर्मास कलश स्थापना पर दूर-दराज से पहुंचे भक्त
देवरी के समीप स्थित बीना बारहा में रविवार को धूम धाम के चातुर्मास की कलश स्थापना की गई। आयोजन की शुरुआत में आचार्य, ससंघ मंदिर में भगवान के दर्शन किए । जहां से भक्त ढोल, नगाड़ों के साथ आचार्यश्री को ससंघ कार्यक्रम स्थल तक ले गए। इस अवसर पर देश
सागर । देवरी के समीप स्थित बीना बारहा में रविवार को धूम धाम के चातुर्मास की कलश स्थापना की गई। आयोजन की शुरुआत में आचार्य, ससंघ मंदिर में भगवान के दर्शन किए । जहां से भक्त ढोल, नगाड़ों के साथ आचार्यश्री को ससंघ कार्यक्रम स्थल तक ले गए। इस अवसर पर देश के अनेक स्थानों से लोग आचार्यश्री के दर्शन करने पहुंचे। दर्शन के अभिलाषी भक्त दो-दो किलोमीटर दूर ही अपने वाहन रखकर कलश स्थापना के प्रत्यक्षदर्शी बने।
आचार्यश्री ने अपने प्रवचनों में गौ पालन व गौरक्षा सहित गौसेवा पर प्रकाश डाला पंडाल के बाहर बैठे रहे भक्त आचार्यश्री ससंघ मंच पर पहुंचे तो हजारों की संख्या में लोग पंडाल में बैठ गए। उनके बाद जो भी आचार्यश्री के दर्शनों के लिए पहुंचा व आयोजन में शामिल हुआ तो उन्हें पंडाल के बाहर ही बैठना पड़ा। इस अवसर पर महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ सहित अनेक राज्यों के लोग उपस्थित रहे। भेट देते ही नम हो गई आंखें कलश स्थापना के पूर्व नवदीक्षित मुनिराज संधान सागर, संस्कार सागर, ओंकार सागर के गृहस्थ जीवन माता-पिता को ट्रस्ट कमेटी के माध्यम से सम्मानित किया गया। इसके पहले संबंधित के माता-पिता व परिजनों ने आचार्य श्री को श्रीफल भेट किया।
इस दौरान उनकी आंखें नम हो गईं। उनकी नम आंखें जैसे ये कह रही हों कि जिसे बचपन से संस्कारवान बनाया अब वह समाज को संस्कारित करेंगे। नागपुर से आया घोष दल चातुर्मास कलश स्थापना के लिए नागपुर से विशेष घोष दल दोपहर में बीना बारह पहुंचा। घोष प्रमुख अक्षय जैन ने बताया कि वह आचार्य श्री के चातुर्मास कलश स्थापना के लिए अपने जियो ग्रुप के 30 सदस्यों के साथ मध्यप्रदेश में पहली बार आए थे। साथ ही कहा कि नागपुर के आसपास आचार्य श्री का कही भी कोई आयोजन होता है, वहां हम सभी पहुंचेते है। आचार्य श्री के दीक्षित शिष्य आचार्यश्री विद्यासागरजी ने अब तक 117 दीक्षित मुनिराज थे। बीना बारह में चातुर्मास कलश स्थापना के दो दिन पूर्व गुरूपूर्णिमा पर्व पर 3 मुनिराज को दीक्षा दी गई। जिसके बाद आचार्यश्री से दीक्षा प्राप्त करने वाले 120 मुनिराज शिष्य हो गए। जिसमें 7 शिष्य, मुनि श्री क्षमासागर, मुनिश्री संयमसागर, मुनिश्री वैराग्यसागर, मुनिश्री अपूर्वसागर, मुनिश्री प्रवचनसागर, मुनिश्री सुमतिसागर, मुनिश्री शान्तिसागर समाधी ले चुके है। वहीं आचार्य श्री के माध्यम से 172 आर्यिकाओं दीक्षित शिष्य हैं।