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दोनों नगर अपने पुत्रों लव और कुश को सौंपकर श्रीराम अयोध्या वापस लौट आए

जब त्रेतायुग में रामराज्य था, तब भगवान श्रीराम के भाई भरत ने सिंधू तट पर बसे गंधर्वों के साथ कई युद्ध लड़े थे। उत्तरकांड के 100वें सर्ग में इस बात का विस्तार से उल्लेख मिलता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2015 03:12 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2015 03:23 PM (IST)
दोनों नगर अपने पुत्रों लव और कुश को सौंपकर श्रीराम अयोध्या वापस लौट आए

जब त्रेतायुग में रामराज्य था, तब भगवान श्रीराम के भाई भरत ने सिंधू तट पर बसे गंधर्वों के साथ कई युद्ध लड़े थे। उत्तरकांड के 100वें सर्ग में इस बात का विस्तार से उल्लेख मिलता है।

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इन सभी युद्धों में भरत के मामा युधाजित ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। युधाजित ने ही महर्षि गार्ग्य को अयोध्या भेजा था और यह संदेश भिजवाया कि सिंधु नदी के तट पर स्थित गंधर्व देश अतिशय समुद्र प्रदेश है। उसकी संख्या 3 करोड़ है।

इतना कहने के बाद मामा युधीजित ने श्रीराम से आग्रह किया कि गंधर्वों का नाश करके यह प्रदेश जीत लेना चाहिए। इस तरह श्रीराम ने भी यह प्रस्ताव तत्काल स्वीकार किया। और भरत को गंधर्वों को युद्ध में जीत के लिए भेजा।

भरत युद्ध के लिए पहुंचे वह इस युद्ध में सेनापति की भूमिका में थे और श्रीराम मुख्य भूमिक में थे। उन्होंने जल्द ही गंधर्वों को युद्ध में हरा कर विजय श्री हासिल की। उन्होंने सिंधु तट पर तक्षशिला और पुष्कलावत(वर्तमान पेशावर जो कि पाकिस्तान में है) नामक नगर बसाए। और दोनों नगर अपने पुत्रों लव और कुश को सौंपकर श्रीराम अयोध्या वापस लौट आए।

उत्तरकांड में ही उल्लेख मिलता है कि कालक्रम में श्रीराम ने जब अपनी जीवनलीला समाप्त की तो भरत भी उनके साथ ही स्वधाम चले गए।


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