वीरान श्री बज्रेश्वरी घाट, बनेर में नहा रहे श्रद्धालु
मां बज्रेश्वरी के दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लाखों की लागत से बनेर खड्ड के किनारे बना मां बज्रेश्वरी घाट अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया है। इस घाट में न तो अब सुविधाएं है ओर न ही घाट में बने कुंड में पानी की कोई
कांगड़ा। मां बज्रेश्वरी के दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लाखों की लागत से बनेर खड्ड के किनारे बना मां बज्रेश्वरी घाट अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया है। इस घाट में न तो अब सुविधाएं है ओर न ही घाट में बने कुंड में पानी की कोई व्यवस्था। केवल पुरानी टूटी हुई सड़क के किनारे ढांचा ही शेष रह गया है।
जबकि श्रद्धालु मजबूरी वश कांगड़ा बाईपास के किनारे बनेर खड्ड के बीचोबीच नहाने को मजबूर है। इससे कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है।
बज्रेश्वरी घाट मेंमहिलाओं के लिए भी अलग से नहाने की व्यवस्था थी, लेकिन मंदिर से काफी दूर होने तथा अब वहां की सड़क बंद होने से यह घाट विरान हो चुका है। बनेर खड्ड के जल को श्रद्धालु बाण गंगा का जल मानते है। ऐसे में यहां स्नान करने का अपना एक महत्व भी है। इसी महत्व को देखते हुए नवंबर 2002 में तत्कालीन कृषि मंत्री चौधरी विद्या सागर ने बज्रेश्वरी मंदिर घाट का निर्माण करवाया था। यहां श्रद्धालु पेड़ों की ओट के बीच में आराम भी करते थे और स्नान भी कर पाते थे।
कांगड़ा बाईपास पर बने घाट तो श्रद्धालुओं को मिलेगी सुविधा भटक रहे हैं श्रद्धालु कांगड़ा में पार्किंग के अभाव तथा टांडा-गुप्त गंगा मार्ग में एक पुली के कार्य के कारण श्रद्धालुओं को खासी परेशानी हो रही है।
कांगड़ा बाईपास की ओर से आने वाली श्रद्धालुओं की बसें व अन्य बड़े वाहन भी टांडा मार्ग की ओर से गुप्त गंगा मार्ग में प्रवेश कर रहे है, लेकिन बीच में एक पुली का कार्य चले होने के कारण बसों को बीच रास्ते में रोकना पड़ रहा है।