देशभर में वसंत पंचमी की धूम, पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं
देश भर में आज वसंत पंचमी का त्योहार बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर देशवासियों को वसंत पंचमी की शुभकामनाएं दी हैं।
नई दिल्ली। देश भर में आज वसंत पंचमी का त्योहार बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर देशवासियों को वसंत पंचमी की शुभकामनाएं दी हैं।
वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन स्त्रियां पीले वस्त्र धारण करती हैं। प्राचीन भारत व नेपाल में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बांटा जाता था, उनमें वसंत का मौसम लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था। लेकिन जब फूलों पर बहार आ जाती थी और खेतों मे सरसों का सोना चमकने लगता था। साथ ही, जौ और गेहूं की बालियाँ भी खिलने लगतीं थी उस समय आमों के पेड़ों पर बौर आ जाता थे। हर तरफ रंग-बिरंगी तितलियां मंडराने लगती है। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पांचवें दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता है। जिसमें मुख्य रूप से विष्णु व कामदेव की पूजा होती है। इसी दिन को वसंत पंचमी के त्योहार के रुप में बनाया जाता है। शास्त्रों में इसे ऋषि पंचमी भी बताया गया है। साथ ही, साथ पुराणों-शास्त्रों व अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका विवरण किया गया है
वैसे सनातन धर्म में माघ शुक्ल पंचमी को वसंत पंचमी मनाने की परंपरा है। कुछ जगहों पर इस बार वसंत पंचमी 13 फरवरी को मनाई जाएगी। वसंत पंचमी की मान्यता अपुच्छ मुहूर्त के रूप में है। इस दिन पंडित -पंचांग के बिना किसी तरह का शुभ कार्य करने के लिए स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना जाता है। पंचमी तिथि 12 फरवरी को दोपहर 12.43 बजे लग रही है जो 13 को सुबह 10.30 बजे तक रहेगी।
सरस्वती पूजन
वसंत पंचमी पर वागेश्वरी जयंती और सरस्वती पूजन का विधान है। बुद्धि विवेक की रक्षा और वृद्धि के लिए तिथि विशेष पर विद्यार्थी व पठन-पाठन से जुड़े समस्त लोग माता सरस्वती की पूजा आराधना करते हैं। तिथि विशेष पर भगवती का पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। माता सरस्वती वाणी, ज्ञान विज्ञान, बुद्धि विवेक, शिक्षा की देवी हैं। अत: माता सरस्वती का पूजन वंदन करने से माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
वशीकरण की देवी
तंत्र शास्त्र में वाग्देवी की मान्यता वशीकरण की देवी के रूप में भी है। घर परिवार और समाज में अनबन का माहौल या स्वभाव में उग्रता निवारण के लिए भी सरस्वती पूजन का विधान है। इससे समाज में जुड़ाव और सबसे स्नेहपूर्ण वातावरण बनता है। इस दिन काशी में वागेश्वरी देवी के दर्शन-पूजन का विधान है।
ऋतुराज की अगवानी
वसंत पंचमी का त्योहार ऋतुपरत्व है। शास्त्रों में कहा गया है कि 'मधु माधव वसंत: स्यातÓ अर्थात वसंत चैत्र व वैशाख है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि ऋतु नाम कुसुमाकर: अर्थात ऋतुओं में वसंत ऋतु मैं स्वयं हूं। इस लिहाज से वसंत को ऋतुराज माना जाता और किसी राजा की तरह 40 दिन पहले से ही अगवानी की जाती है। किसान खेतों से जौ की बाली ले आते हैं। इसे साफ कर घृत -मिष्ठान मिला कर हवन करते हैं। शेष अन्न अपने इष्ट देव को अर्पित करते हैं।
रतिकाम महोत्सव
वसंत पंचमी पर रतिकाम महोत्सव मनाने की परंपरा है। माघ शुक्ल पंचमी को उत्तम वेदी पर श्वेत वस्त्र बिछाकर अक्षतों का अष्टदल कमल बनाना चाहिए। इसके अग्र भाग में प्रथम पूज्य गणेश व पृष्ठ भाग में वसंत (जौ या गेहूं पुंज) पूरित कलश वेदी पर स्थापित करना चाहिए। सर्व प्रथम गणेश पूजन कर पुंज में रति व कामदेव का आवाहन और उन्हें अबीर-गुलाल अर्पित किया जाता है। रति कामदेव का ध्यान कर पूजन आराधना करनी चाहिए। इससे गृहस्थ जीवन की बाधाओं से मुक्ति मिलती है और दाम्पत्य जीवन उत्तम व्यतीत होता है।
देवाधिदेव का तिलकोत्सव
पौराणिक मान्यता के अनुसार वसंत पंचमी पर भगवान शिव का बरछा या तिलकोत्सव हुआ तो शिवरात्रि को विवाह। अत: वसंत पंचमी को भगवान शिव का अभिषेक आदि कर पूजन करना चाहिए। इससे चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है।