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बांकेबिहारी मंदिर में साल में एक ही बार होती मंगला आरती

बांकेबिहारी मंदिर में साल में एक ही बार होने वाली मंगला आरती में भक्ति और माधुर्य का रस बरसेगा। स्वर्ण-रजत और हीरे-मोती के श्रृंगार और पीत वस्त्र धारण कर बांकेबिहारी भक्तों को दर्शन देंगे।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2015 01:04 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2015 01:12 PM (IST)

वृंदावन बांकेबिहारी मंदिर में साल में एक ही बार होने वाली मंगला आरती में भक्ति और माधुर्य का रस बरसेगा। स्वर्ण-रजत और हीरे-मोती के श्रृंगार और पीत वस्त्र धारण कर बांकेबिहारी भक्तों को दर्शन देंगे।
बांकेबिहारी मंदिर प्रबंध कमेटी के उपाध्यक्ष घनश्याम गोस्वामी ने बताया कि परंपरा के अनुसार बांकेबिहारी मंदिर में हर पर्व, उत्सव सालभर में एक ही दिन मनाया जाता है। यही कारण है कि हर मंदिर में प्रतिदिन ठाकुरजी की मंगला आरती होती है, लेकिन बांकेबिहारीजी महाराज की साल में एक ही दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर मंगला आरती होती है। उन्होंने बताया कि जन्मोत्सव के दिन रात 12 बजे ठा. श्रीबांकेबिहारीजी का सवामन दुग्ध, दही, घृत,शर्करा, पंचगव्य एवं जड़ी-बूटियों से सेवायत आचार्य महाभिषेक करेंगे। इसके बाद 1.45 बजे मंदिर के पट खुलेंगे, 1.55 पर मंगला आरती होगी। इसके बाद सुबह 5.30 तक भक्तों को दर्शन देंगे ठा. बांकेबिहारी। उन्होंने बताया कि इस दिन बांकेबिहारीजी को धारण करवाने के लिए पीले रंग की आकर्षक पोशाक बनवाई गई है। इसके अलावा हीरे-मोती, जवाहरात, माणिक्य से ठाकुरजी का भव्य श्रृंगार किया जाएगा।

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प्रेम मंदिर -श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर दुनियाभर के देशों से आ रहे भक्त


गिरिराज पर्वत को उठाने में ब्रजवासियों ने
डंडे लगा जिस तरह भगवान श्रीकृष्ण का साथ दिया। इसी तरह उनके द्वारा दिए गए प्रेम और गीता संदेश की पताका फहराने का बीड़ा उठा दुनियाभर में नाम संकीर्तन के माध्यम से सनातन धर्म का प्रसार-प्रसार की हर धर्म, मजहब के लोगों को कृष्ण भक्ति से जोड़ कर सनातन धर्म अपनाने पर मजबूर करने में श्रील प्रभुपाद ने जीवन प्रभु के चरण में समर्पित कर दिया।
श्रील
प्रभुपाद ने वृंदावन में जिस वृक्ष के नीचे बैठ श्रीकृष्ण के प्रेम संदेश और गीता के उपदेश का प्रचार प्रसार करने का बीड़ा उठाया, उसी वृक्ष के चारों ओर आज भव्यता लिए संगमरमर की इमारत उनकी इस अथक परिश्रम और तपस्या के बल को दर्शा रही है। जहां आज भी दुनिया के कोने-कोने से हजारों विदेशी घर-परिवार, समाज और देश को छोड़ कृष्ण के रंग में रंगे नजर आ रहे हैं।
श्रील प्रभुपाद की इस तप स्थली पर श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाने को दुनियाभर से विदेशी श्रद्धालुओं का जुटना शुरू हो गया है। मंदिर भी रंगबिरंगी रोशनी से सजाया जाने लगा है। देशी-विदेशी फूलों की महक मंदिर के गलियारों में खुशबू बिखेर रही है तो नाम संकीर्तन की धुन पर मृदंग और मजीरा लिए विदेशी भक्त सुबह से शाम तक प्रभु का गुणगान कर रहे हैं।

इस्कॉन में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का उल्लास शुरू:


इस्कॉन मंदिर के अध्यक्ष पंचगौड़ा दास कहते हैं भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव वृंदावन इस्कॉन मंदिर में उल्लास पूर्वक मनाया जाता है। चूंकि वृंदावन भगवान की लीलास्थली और श्रील प्रभुपाद की तप स्थली है, इसलिए दुनियाभर के श्रद्धालु वृंदावन इस्कॉन में जन्मोत्सव मनाने के लिए हर साल आते हैं। इस साल भी करीब डेढ़ सौ देशों से श्रद्धालु वृंदावन इस्कॉन में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाने के लिए आने का अंदाजा लगाया जा रहा है। महोत्सव की तैयारियों की जानकारी देते हुए श्री दास ने बताया कि सुबह से शाम तक और रात में चार प्रहर हर बार नए अंदाज में ठाकुरजी भक्तों को दर्शन देंगे। हर बार नई पोशाक धारण करवाई जाएगी। पूरे मंदिर परिसर को देशी-विदेशी
फूलों से सजाया जाएगा। सुबह से शाम और रात से भोर तक नाम संकीर्तन की धुन से मंदिर गुंजायमान रहेगा। रात 11.30 बजे ठाकुरजी के श्रीविग्रह को मंदिर से बाहर निकाला जाएगा तथा वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य पंचामृत से महाभिषेक होगा। इसके बाद महाआरती होगी और प्रसाद वितरण होगा।


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