बदरीनाथ धाम पहुंचे आठ से दस हजार श्रद्धालु
हल्की बूंदाबांदी में हजारों श्रद्धालुओं के जबदस्त उत्साह और भगवान बदरी विशाल के जयकारों के बीच शुभ मुहूर्त रविवार सुबह 5.15 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए। कपाट खुलने के बाद मंदिर के मुख्य द्वार सिंहद्वार पर नया ध्वज फहराया। इस अवसर पर मौजूद मुख्यमंत्री हरीश रावत ने
बदरीनाथ। हल्की बूंदाबांदी में हजारों श्रद्धालुओं के जबदस्त उत्साह और भगवान बदरी विशाल के जयकारों के बीच शुभ मुहूर्त रविवार सुबह 5.15 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए। कपाट खुलने के बाद मंदिर के मुख्य द्वार सिंहद्वार पर नया ध्वज फहराया। इस अवसर पर मौजूद मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि चार धाम यात्रा पूरी तरह से शुरू हो चुकी है और श्रद्धालुओं के जोश को देख साफ हो गया है कि इस बार यात्रा उमंगों से भरपूर है।
आखिरकार बदरीनाथ में दो साल से पसरा सन्नाटा टूट गया। आठ से दस हजार लोग कपाट खुलने के साक्षी बने। पिछले साल यह संख्या महज तीन हजार के आसपास थी। कपाट खोलने की प्रक्रिया रविवार प्रात: चार बजे शुरू की गई, लेकिन श्रद्धालुओं की कतार दो बजे से लगी शुरू हो गई। सबसे पहले बामणी गांव के नंदा देवी मंदिर में रखी कुबेर की मूर्ति की पूजा की गई। इसके बाद बामणी गांव के हक हकूकधारी कुबेर मूर्ति को बदरीनाथ मंदिर तक लाए। मंदिर के दक्षिण द्वार से कुबेर की मूर्ति को परिक्रमा स्थल में रखा गया। 4.30 बजे रावल निवास में रखी गई उद्धव की मूर्ति को रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी के नेतृत्व में मंदिर प्रांगण में लाया गया। प्रात: पौने पांच बजे रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल व वेदपाठियों के मंत्रोच्चार के बीच द्वार पूजन किया। ठीक सवा पांच बजे बदरी-केदार मंदिर समिति के मुख्य कार्य अधिकारी बीडी सिंह ने मुख्य द्वार पर लगे ताले खोले। इसके बाद रावल ने उद्धव की मूर्ति के साथ गर्भगृह में प्रवेश किया।
मुख्य पुजारी ने उद्धव व कुबेर को बदरीश पंचायत में विराजित कर लक्ष्मी को परिक्रमा स्थित मंदिर में रखा। रविवार प्रात: 11 बजे से इस वर्ष की पहली अभिषेक व महाभिषेक पूजा शुरू कर दी गई।
इस दौरान मंदिर परिसर में माणा गांव की भोटिया जनजाति व बामणी गांव की महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में लोकनृत्य प्रस्तुत किए। वहीं, गढ़वाल स्काउट के बैंड की धुन ने समां बाध दिया। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल, बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल और पर्यटन मंत्री दिनेश धनै के अलावा कई विधायक और अधिकारी उपस्थित थे
कपाटोद्धघाटन के लिए मंदिर को 30 क्विंटल गेंदे और गुलाब से सजाया गया था। गौरतलब है कि 24 अप्रैल को केदारनाथ धाम और 21 अप्रैल को गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खोले जा चुके हैं।
यात्रियों को पंडों के घर में भी ठहराया जा रहा -कुदरत की चुनौतियों के बीच बदरीनाथ धाम यात्रा के लिए पूरी तरह तैयार है। बदरीनाथ से मिली सूचना के अनुसार सभी धर्मशालाएं और लॉज खुलवा दिए गए। यात्रियों को पंडों के आवास पर भी टिकाया गया। इसके अलावा भोजन के लिए सेना व मंदिर समिति के साथ कई निजी लंगर भी लगाए गए।
बदरीनाथ धाम में मुख्य मंदिर को 30 क्विंटल गेंदे और गुलाब से सजाया गया है तो बिजली-पानी और संचार व्यवस्था बहाल की जा चुकी है। मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों से बर्फ साफ की जा चुकी है, लेकिन नगर में अब कई जगह सात फीट तक बर्फ जमा है। ऐसे में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रख मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते में पुलिस और एसडीआरएफ की टीम को तैनात किया गया है। इसके अलावा बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर कंचन गंगा में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के लिए चुनौती बना हिमखंड हटाने का कार्य जारी है। हिमखंड के बीच ही लोहे की प्लेट लगाकर वाहनों की आवाजाही पुलिस-प्रशासन की निगरानी में कराई जा रही है।
मंदिर परिसर, तप्तकुंड क्षेत्र में जमा बर्फ को हटाया जा चुका है, बदरीनाथ जाने वाले मार्ग पर कहीं-कहीं पांच से सात फीट बर्फ जमा था। मंदिर समिति के कर्मचारी बर्फ साफ करने में जुटे रहे। वहीं नगर के पंडित मुहल्ला व बामणी गांव में कई घर बर्फ से ढके हैं। ग्रामीण खुद ही बर्फ को हटाने का कार्य कर रहे हैं। बदरी-केदार मंदिर समिति के मुख्य कार्यधिकारी बीडी सिंह ने बताया कि देख अब तक 100 से ज्यादा व्यापारी भी बदरीनाथ आ गए हैं। सीईओ सिंह के अनुसार समिति ने अपने सभी गेस्ट हाउसों में साफ सफाई कर इन्हें श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए पूरी तरह से तैयार कर दिया है।
पहले बदरी विशाल की उत्सव डोली पहुंची थी बदरीनाथ -
भगवान बदरी विशाल की उत्सव डोली बदरीनाथ पहुंच गई थी, डोली के साथ उद्धव व कुबेर की डोलियों के अलावा गाडू घड़ा व शंकराचार्य गद्दी पालकी भी थी। बदरीनाथ में एक हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने डोली यात्रा का स्वागत किया। शनिवार को पांडुकेश्वर स्थित योगध्यान बदरी मंदिर में पूजा अर्चना के बाद भगवान की उत्सव डोली बदरीनाथ धाम के लिए रवाना हुई थी। गढ़वाल स्काउट के बैंड की धुनों के साथ बदरीनाथ के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी की अगुआई में यात्रा बदरीनाथ धाम पहुंची थी। बदरीनाथ में कुबेर की मूर्ति को बामणी गांव स्थित नंदा देवी मंदिर व उद्वव की मूर्ति को रावल निवास में रखा गया था। रविवार को कपाट खुलने के बाद दोनों मूर्तियों को गर्भगृह में विराजित किया गया। जबकि शंकराचार्य की गद्दी को खजाने में जमा कर दिया गया है।