अर्धकुंभ को डेढ़ सौ करोड़ की और दरकार
अर्धकुंभ मेले के लिए डेढ़ सौ करोड़ रुपये की और जरूरत है। राज्य सरकार अपने खजाने से ढाई सौ करोड़ रुपये जारी कर चुकी है। बाकी धन की उम्मीद केंद्र सरकार से सैद्धांतिक तौर पर मंजूर हो चुके 167 करोड़ रुपये पर टिकी है। यह राशि अभी केंद्र से राज्य
हरिद्वार। अर्धकुंभ मेले के लिए डेढ़ सौ करोड़ रुपये की और जरूरत है। राज्य सरकार अपने खजाने से ढाई सौ करोड़ रुपये जारी कर चुकी है। बाकी धन की उम्मीद केंद्र सरकार से सैद्धांतिक तौर पर मंजूर हो चुके 167 करोड़ रुपये पर टिकी है। यह राशि अभी केंद्र से राज्य सरकार को नहीं मिली है। इसलिए विभागों को भी प्रस्ताव देने के लिए पंद्रह जून तक का समय और दे दिया है।
साल 2016 के शुरुआती चार महीनों में हरिद्वार को पांच करोड़ श्रद्धालुओं की सुविधा का इंतजाम करना है। राज्य सरकार को अर्धकुंभ में पांच करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। यानि हर माह औसतन सवा करोड़ श्रद्धालु हरिद्वार आएंगे। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने पर व्यवस्थाएं भी उसी के अनुरूप करनी होगी। राज्य सरकार अब तक अर्धकुंभ के लिए 250 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है। इसमें से 152 करोड़ रुपये पहले जारी हो चुके थे, जबकि शनिवार को कैबिनेट ने 98 करोड़ की और मंजूरी दी थी। राज्य सरकार का अर्धकुंभ का बजट भी इतना ही है। राज्य की जो माली हालत है उसमें इससे ज्यादा धन खर्च कर पाना उसके लिए संभव भी नहीं है। मेले से जुड़े अधिकारी इस बात का संकेत दे चुके हैं। हालांकि मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना था कि अगर इससे कुछ ज्यादा की और जरूरत पड़ती है तो कुछ अन्य मदों में कटौती कर भरपायी की जाएगी। राज्य सरकार की उम्मीद भी अब केंद्र सरकार पर ही टिकी हुई है। केंद्र सरकार अर्धकुंभ के लिए 167 करोड़ रुपये देने को सैद्धांतिक तौर पर राजी हो चुकी है।
शहरी विकास सचिव डीएस गब्र्याल इस बात की पुष्टि कर चुके हैं। केंद्र सरकार की ओर से सैद्धांतिक सहमति तो मिल चुकी है, लेकिन धन अभी तक राज्य सरकार को नहीं मिला है। मेला अधिष्ठान को अर्धकुंभ के काम पूरे कराने के लिए डेढ़ सौ करोड़ रुपये और चाहिए। इस राशि की भरपायी केंद्र सरकार से मिलने वाली सहायता राशि से ही हो पाएगी। इसलिए सरकार ने विभागों को प्रस्ताव देने के लए पंद्रह जून तक की मोहलत और दे दी है। उम्मीद की जा रही है कि तब तक केंद्र सरकार से मदद मिल जाएगी।