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आपदा की बरसी: रामबाड़ा में बनेगा स्मारक

केदारनाथ आपदा की बरसी पर उत्तराखंड में जगह-जगह श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया गया। केदारनाथ पैदल मार्ग पर स्थिति रामबाड़ा में आपदा में मारे गए लोगों की याद में स्मारक की आधारशिला रखी गई। वहीं, केदारनाथ मंदिर में शांति पाठ और बदरीनाथ मंदिर के मुख्य द्वार पर 10

By Edited By: Published: Tue, 17 Jun 2014 11:25 AM (IST)Updated: Tue, 17 Jun 2014 11:27 AM (IST)
आपदा की बरसी: रामबाड़ा में बनेगा स्मारक

देहरादून। केदारनाथ आपदा की बरसी पर उत्तराखंड में जगह-जगह श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया गया। केदारनाथ पैदल मार्ग पर स्थिति रामबाड़ा में आपदा में मारे गए लोगों की याद में स्मारक की आधारशिला रखी गई। वहीं, केदारनाथ मंदिर में शांति पाठ और बदरीनाथ मंदिर के मुख्य द्वार पर 108 दीप प्र“वलित करने के साथ ही विभिन्न शहरों में कैंडल मार्च और मौन जुलूस निकाले गए।

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एक साल पहले केदारनाथ में आए सैलाब में रामबाड़ा का नामोनिशां मिट गया था। सोमवार को केदारनाथ पैदल मार्ग पर स्थित कभी यात्रा के प्रमुख पड़ाव रहे इस स्थल पर सरकार की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मौजूद कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और स्थानीय विधायक शैलारानी रावत ने स्मारक स्थल पर पुष्प चक्र अर्पित किए। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि यह स्मारक जल्द ही तैयार कर लिया जाएगा। केदारनाथ मंदिर में वेदपाठियों ने शांति पाठ का आयोजन किया। मंगलवार तक चलने वाले इस पाठ में देश के विभिन्न भागों से आए लापता लोगों के परिजनों ने भी भाग लिया। बदरीनाथ में बदरी-केदार मंदिर समिति ने मंदिर के मुख्य द्वार पर 108 दीप प्र“वलित कर आपदा में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी।

समिति के मुख्य कार्यधिकारी बीडी सिंह ने बताया कि मंगलवार को तप्त कुंड में स्नान के बाद ब्रहमकपाल तीर्थ में तिल तर्पण किया जाएगा।

16 जून 2013 की दैवीय आपदा में मृत व लापता हुए लोगों के आश्रितों को राज्य सरकार बड़ी राहत देने जा रही है। सरकार ने इस आपदा में मृत व लापता स्थानीय लोगों के एक-एक आश्रित को सरकारी नौकरी व हर परिवार को दो-दो लाख रुपये की अतिरिक्त मदद देने का निर्णय किया है। इसके अलावा भराड़ीसैंण में प्रस्तावित सचिवालय के विभिन्न ब्लॉकों व भवनों के नाम आपदा में प्रभावित क्षेत्रों व गांवों के नाम पर रखने का भी निर्णय किया गया है।

मुख्यमंत्री हरीश रावत की ओर से उनके मीडिया समन्वयक सुरेंद्र कुमार ने सोमवार को बातचीत में इन घोषणाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दैवीय आपदा से हुई भीषण तबाही के एक वर्ष पूर्ण होने पर मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा ये घोषणाएं की गई हैं। जून 2013 में आए आपदा के इस सैलाब में 169 लोगों की मौत की पुष्टि हुई थी, जबकि 4021 लोग लापता हो गए थे। इनमें उत्तराखंड के 846 लोग शामिल थे। मृतकों व लापता लोगों के परिजनों को सरकार की ओर से पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी गई थी। राज्य सरकार ने पूर्व में मिली सहायता के अलावा इन परिवारों को दो-दो लाख रुपये की अतिरिक्त मदद देने का निर्णय किया है। साथ ही, प्रत्येक मृतक के एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने का भी निर्णय किया है। मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक सुरेंद्र कुमार ने बताया कि भराड़ीसैंण में बनने जा रहे सचिवालय के ब्लॉक व भवनों के नाम आपदाग्रस्त क्षेत्रों के नाम पर रखे जाएंगे। ताकि आपदा का दंश झेल चुके इन क्षेत्रों की बेहतरी के लिए सरकार कारगर ढंग से काम करे। उन्होंने बताया कि आपदा के एक पूर्ण होने पर रामबाड़ा में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य कारणों से शिरकत नहीं कर पाए। डाक्टरों की ओर से उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिल पाई। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कभी भी यह दावा नहीं किया था कि आपदाग्रस्त केदारघाटी से सभी मृतकों के शव निकाल लिए गए हैं। अब जबकि वहां कुछ नर कंकाल मिले हैं, तो सरकार की ओर से एक टास्क फोर्स गठित कर सघन कांबिंग शुरू करा दी गई है।हो गए थे। इनमें उत्तराखंड के 846 लोग शामिल थे। मृतकों व लापता लोगों के परिजनों को सरकार की ओर से पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी गई थी। राज्य सरकार ने पूर्व में मिली सहायता के अलावा इन परिवारों को दो-दो लाख रुपये की अतिरिक्त मदद देने का निर्णय किया है। साथ ही, प्रत्येक मृतक के एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने का भी निर्णय किया है। मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक सुरेंद्र कुमार ने बताया कि भराड़ीसैंण में बनने जा रहे सचिवालय के ब्लॉक व भवनों के नाम आपदाग्रस्त क्षेत्रों के नाम पर रखे जाएंगे। ताकि आपदा का दंश डोल चुके इन क्षेत्रों की बेहतरी के लिए सरकार कारगर ढंग से काम करे। उन्होंने बताया कि आपदा के एक पूर्ण होने पर रामबाड़ा में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य कारणों से शिरकत नहीं कर पाए। डाक्टरों की ओर से उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिल पाई। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कभी भी यह दावा नहीं किया था कि आपदाग्रस्त केदारघाटी से सभी मृतकों के शव निकाल लिए गए हैं। अब जबकि वहां कुछ नर कंकाल मिले हैं, तो सरकार की ओर से एक टास्क फोर्स गठित कर सघन कांबिंग शुरू करा दी गई है।

केदारनाथ आपदा में मारे गए लोगों के लिए सोमवार को देश के ही नहीं बल्कि हरिद्वार पहुंचे विदेशियों ने भी गंगातट पर प्रार्थना की। आपदा की बरसी पर उत्तराखंड में जगह-जगह श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन, कैंडिल मार्च निकाले गए।


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