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महालय अमावस्‍या : पितरों के विदा होने के साथ ही आगमन होगा देवी-देवताओं का

अश्विन महीने की अमावस्या बेहद खास है। इस द‍िन प‍ितर धरती से विदा लेते हैं और देवी-देवताओं का आगमन होता है। इसल‍िए इसे महालय अमावस्‍या भी कहते हैं। जानें इसका महत्‍व...

By shweta.mishraEdited By: Published: Tue, 19 Sep 2017 01:30 PM (IST)Updated: Tue, 19 Sep 2017 01:30 PM (IST)
महालय अमावस्‍या : पितरों के विदा होने के साथ ही आगमन होगा देवी-देवताओं का

पि‍तरों को ऐसे देते हैं व‍िदाई
अश्विन महीने की कृष्‍ण्‍ा पक्ष की अमावस्‍या को महालय अमावस्‍या के नाम से भी जाना जाता है। यह त‍िथि‍ कि‍सी बड़े पर्व से कम नहीं होती है। शास्‍त्रों के मुताब‍िक यह त‍िथ‍ि बेहद खास होती है क्‍योंक‍ि इस द‍िन प‍ितर धरती से व‍िदा लेते हैं। जि‍ससे इस द‍िन व‍िध‍िव‍िधान से प‍ितृ व‍िसर्जन कि‍या जाता है। खास बात तो यह है क‍ि जो लोग पूरे पितृ पक्ष में क‍िसी परेशानी से या क‍िसी अन्‍य वजहों से प‍ितरों का  श्राद्ध, तर्पण और प‍िंडदान नहीं कर पाएं। वे महालय अमावस्‍या के द‍िन कर ये सब कर प‍ितरों को खुश कर सकते हैं। अमावस्‍या के द‍िन सभी प‍ितर खुश होआशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं। 

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देवी-देवताओं का आगमन

वहीं मान्‍यता है क‍ि महालय अमावस्‍या के द‍िन से धरती पर देवी-देवताओं का आगमन शुरू हो जाता है। महालय अमावस्‍या से नवरात्र व दुर्गा पूजा की शुरुआत हो जाती है। जहां नवरात्रि‍ में घर-घर मां दुर्गा देवी के व‍िभ‍िन्‍न स्‍वरूपों की अराधना होने लगती है। वहीं बंगाली लोगों के बीच धूमधाम से दुर्गा पूजा शुरू हो जाती है। जगह-जगह पंडालों में व घरों में भजन संध्‍या व जागरण आद‍ि शुरू हो जाते हैं। नवरात्र हो या दुर्गा पूजा दोनों में ही भक्‍त देवी से धरती पर आने का आग्रह करते हैं। ज‍िससे देवी-देवता अपने भक्‍तों को आशीर्वाद देने व उनका कल्‍याण करने के ल‍िए इस लोक में आते हैं। 


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