बाबा अमरनाथ यात्रा, श्रावण पूर्णिमा की सुबह पूजा-अर्चना के साथ मुख्य दर्शन संपन्न
पिछले सात वर्षो में इस बार श्री बाबा अमरनाथ की वार्षिक यात्रा सबसे लंबी 59 दिनों तक जारी रही। हालांकि पवित्र गुफा में मुख्य दर्शन शनिवार की सुबह छड़ी मुबारक के आगमन के साथ संपन्न हो चुका है, लेकिन पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक तीर्थयात्रा का समापन सोमवार को पहलगाम में
श्रीनगर । पिछले सात वर्षो में इस बार श्री बाबा अमरनाथ की वार्षिक यात्रा सबसे लंबी 59 दिनों तक जारी रही। हालांकि पवित्र गुफा में मुख्य दर्शन शनिवार की सुबह छड़ी मुबारक के आगमन के साथ संपन्न हो चुका है, लेकिन पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक तीर्थयात्रा का समापन सोमवार को पहलगाम में लिद्दर दरिया किनारे पूजा, विसर्जन और कड़ी-पकौड़ी के भंडारे के साथ होगा।
गौरतलब है कि इस बार श्री बाबा अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा दो जुलाई को शुरू हुई थी। 29 अगस्त को पवित्र गुफा में श्रावण पूर्णिमा की सुबह भगवान अमरेश्वर की पूजा-अर्चना की गई और मुख्य दर्शन संपन्न हुआ। हालांकि इस बार बाबा अमरनाथ यात्रा पर गत वर्ष कश्मीर में आई विनाशकारी बाढ़ और उसके बाद यात्रा शुरू होने से पहले मार्च, अप्रैल, जून व जुलाई माह के दौरान हुई बारिशों ने पूरा असर दिखाया। श्रद्घालुओं की संख्या अनुमान से कहीं कम 3.52 लाख रही, लेकिन श्रद्घालुओं, सुरक्षाकर्मियों व मजदूरों की मौत का आंकड़ा पिछले वर्षो की तुलना में बहुत कम 41 रहा। इनमें 30 श्रद्घालु शामिल थे।
आतंकी हमले की आशंका के बीच सुरक्षित वातावरण में संपन्न हुई श्री अमरनाथ की वार्षिक यात्रा में सीआरपीएफ की भूमिका पहले से कहीं ज्यादा अहम रही। सीआरपीएफ ने यात्रा प्रबंधों में 67 कंपनियों को तैनात किया था। श्रद्घालुओं के जत्थे को जम्मू से पहलगाम व बालटाल तक सुरक्षा कवच प्रदान करने के अलावा सीआरपीएफ ने यात्रा मार्ग को सुरक्षित बनाने का जिम्मा भी निभाया। सीआरपीएफ ने महिला श्रद्घालुओं की संख्या को देखते हुए इस बार महिला कर्मियों को भी विभिन्न आधार शिविरों और यात्रा मार्गो पर तैनात किया था। यही नहीं, सुरक्षा कवच के अलावा स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रदान की। यात्रा मार्ग पर 14 निशुल्क चिकित्सा शिविरों में सीआरपीएफ के डॉक्टर व पैरामेडिकल कर्मी सभी आवश्यक चिकित्सा उपकरणों के साथ दिन-रात श्रद्घालुओं के लिए उपलब्ध रहे।
पवित्र छड़ी मुबारक के संरक्षक और दशनामी अखाड़ा के महंत दीपेंद्र गिरी ने बताया कि छड़ी मुबारक अब पहलगाम पहुंच चुकी है। सोमवार को लिद्दर किनारे पूजा होगी। इसके बाद कड़ी-पकौड़ी का भंडारा होगा फिर विसर्जन के लिए अनुष्ठान होगा। इसके साथ ही इस साल की तीर्थयात्रा संपन्न हो जाएगी और छड़ी मुबारक वापस दशनामी अखाड़ा में लौट आएगी, जहां वह एक साल तक विश्राम करेगी। उन्होंने बताया कि श्रावण पूर्णिमा की सुबह छड़ी मुबारक के पवित्र गुफा में प्रवेश के साथ ही मुख्य दर्शन होता है। श्रावण पूर्णिमा को सूर्यास्त तक ही पवित्र गुफा में पूजा और दर्शन का विधान है। श्री अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा के सुरक्षा प्रबंधों में मुख्य भूमिका निभाने वाले सीआरपीएफ के प्रवक्ता आशीष कुमार ने बताया कि इस बार यात्रा ज्यादा चुनौतीपूर्ण थी। मौसम बार-बार बिगड़ रहा था। आतंकी हमले का खतरा भी बहुत ज्यादा था। यात्रा की अवधि भी पहले से ज्यादा थी, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों के सहयोग से सीआरपीएफ अपनी जिम्मेदारी निभाने में सफल रही है।