तुम्हारे लिए जन्नत का रास्ता हमेशा खुला रहेगा
बाबा फरीद मुलतान में कई महीनों तक रहे और वहां सेवा भाव से खुदा की सेवा में जुटे रहे।
बाबा फरीद को उनके गुरु ख्वाजा बहाउद्दीन ने कहा था कि, खुदा को हमेशा याद रखना और अपाहिजों की सेवा करते रहना। ऐसा करने पर तुम्हारे लिए जन्नत का रास्ता हमेशा खुला रहेगा। कुछ दिनों बाद बाबा फरीद मुलतान गए। वहां के शम्सतवरेज के दरवाजे के बारे में यह बात प्रसिद्ध थी कि जो इस दरवाजे से गुजरता है, उसे जन्नत मिलती है।
बाबा फरीद से कई श्रद्धालुओं ने कहा कि, आप मुलतान आए हैं, ऐसे में जन्नत के दरवाजे से गुजरकर जन्नत जाने के प्रति आश्वस्त हो जाएं। तब बाबा फरीद ने कहा, 'मेरे गुरु ने जो जन्नत का रास्ता दिखाया था, उसे मैं नहीं छोड़ूंगा।'
बाबा फरीद मुलतान में कई महीनों तक रहे और वहां सेवा भाव से खुदा की सेवा में जुटे रहे। वह जब मुलतान से लाहौर लौटे तो उनके गुरु बहाउद्दीन ने पूछा, तुमने मुलतान में जन्नत के दरवाजे को देखा या नहीं? बाबा फरीद ने उत्तर दिया, 'जो रास्ता एक बार आपने मुझे दिखा दिया है, उसे छोड़कर दूसरा रास्ता देखने की मैंने जरूरत नहीं समझी।'
यह बात सुनकर गुरु बोले, 'फरीद वास्तव में मुक्ति का सरल रास्ता वही है, जिस पर तुम चल रहे हो।'