इस बार अक्षय तृतीया कई दशकों बाद महाअक्षय पूर्ण फलदायी होगी
सनातन धर्म के प्रमुख पर्वो में वैशाष शुक्ल तृतीया अर्थात अक्षय तृतीया का अपना एक विशेष स्थान है। इसे अपुच्छ मुहूर्त के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन स्नान व दान का अपना एक अलग महत्व है। इस मुहूर्त में किए गए कार्य अति फलदायी होते हैं।
वाराणसी। सनातन धर्म के प्रमुख पर्वो में वैशाष शुक्ल तृतीया अर्थात अक्षय तृतीया का अपना एक विशेष स्थान है। इसे अपुच्छ मुहूर्त के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन स्नान व दान का अपना एक अलग महत्व है। इस मुहूर्त में किए गए कार्य अति फलदायी होते हैं।
शास्त्रों के अनुसार इस तिथि में यथा शक्ति दान देने से जो पुण्य प्राप्त होता है वह अक्षय फलों को देने वाला है। 1ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन स्नान,दान का सर्वाधिक महत्व है। स्नान में सागर, गंगा या पवित्र नदी सरोवर में स्नान आदि से निवृत होकर हाथ में जल व अक्षत लेकर मानसिक संकल्प करना चाहिए। इसके उपरांत यथा विधि नारायण का पूजन कर उन्हें पंचामृत से स्नान कराकर सुगंधित फूलों की माला पहनाएं। नई वेद में जौ का गेहूं या सतू, मौसमी फल, मिठाई इत्यादि अर्पित करे।
दान में गेहूं, चने का सतू, दही, चावल, ईख, दूध के बने खाद्य पदार्थ के साथ ही घी, मिठाई, सोना, चांदी, तांबा का बर्तन, जलपात्र, अन्न सभी प्रकार के मौसमी फल दान करें। अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराकर यथाशक्ति दक्षिणा दें। इस दिन दान का फल अनंत होता है। कोई शुभ कार्य आरम्भ किया जा सकता है। इस दिन त्रेता युग का आरम्भ हुआ था। अत: अक्षय तृतीया परशुराम जयंती 21 अप्रैल को मनायी जाएगी। तृतीय तिथि 20 अप्रैल को 8.42 बजे से लग रही है। जो 21 अप्रैल को रात्रि 7.20 बजे तक रहेगी। इस दिन विशेष पर काशी में त्रिलोचन महादेव के दर्शन पूजन का विशेष महत्व है। खरीदारी का शुभ समय दिन में 1.20 बजे से 3.34 बजे तक तथा दूसरा प्रदोष काल से चार घटी आगे तक की है। इस बार अक्षय तृतीया को सौभाग्य योग का साथ रहेगा। दोनों योग को चारों चांद लगाने वाला नक्षत्र रोहिणी का साथ 21 अप्रैल को दिन में 2.10 बजे से शुरू हो रहा है। इस बार अक्षय तृतीया कई दशकों बाद महाअक्षय पूर्ण फलदायी होगी।