शास्त्रों के अनुसार सोते समय किधर रखें सिर और पैर
रात को खाना खाने के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए। खाने के बाद पैदल चलना, वज्रासन में बैठना चाहिए। खाने के 2 घंटे बाद सोना लाभदायक होता है।
हमारे सोने का तरीका और हमारा बेड भी कई तरह की अच्छी और बुरी बातों का कारण बन सकता है। वास्तु शास्त्र में सोने को लेकर लिए भी कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन न करने पर हमें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। उन सभी के बचने के लिए ध्यान रखें ये नियम-
किस दिशा में सिर रखें
दक्षिण दिशा की ओर सिर एवं पैर उत्तर दिशा की ओर करके सोना सबसे अच्छा रहता है। ऐसे सोने पर कई बीमारियां दूर रहती हैं। वातावरण में भी चुम्बकीय शक्ति होती है, ये शक्ति दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर बहती रहती है। जब हम दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोते हैं तो यह ऊर्जा हमारे सिर से प्रवेश करती है और पैरों के रास्ते बाहर निकल जाती है। इस क्रिया से भोजन आसानी से पच जाता है। सुबह जब हम उठते हैं तो दिमाग शांत रहता है और ताजगी महसूस होती है।
यदि दक्षिण दिशा में सिर रखना संभव ना हो तो
यदि किसी कारण से दक्षिण दिशा में सिर रखकर सोना संभव न हो तो पूर्व दिशा में सिर और पश्चिम दिशा में पैर रखकर सो सकते हैं। इस संबंध में मान्यता ये है कि पूर्व दिशा से सूर्योदय होता है और सूर्य को भगवान माना जाता है। यदि हम पूर्व दिशा में पैर रखकर सोएंगे तो सूर्योदय के समय हमारे पैर सूर्य के सामने रहेंगे, जो कि अशुभ माना जाता है। सूर्य के लिए सम्मान बना रहे, इसके लिए पूर्व दिशा में सिर रखकर सोना चाहिए।
सोने से पहले
रात को खाना खाने के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए। खाने के बाद कुछ देर पैदल चलना चाहिए, वज्रासन में बैठना चाहिए। खाने के करीब 2 घंटे बाद सोना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। सोने से पहले अच्छा साहित्य पढ़ना चाहिए। भगवान के मंत्रों का जप करके सोएंगे तो बुरे सपने नहीं आएंगे। सोने से पहले मनपसंद संगीत सुन सकते हैं, इससे मन शांत होता है और नींद अच्छी आती है। रात को जल्दी सो जाना चाहिए और सुबह ब्रह्म मुहूर्त या सूर्योदय के समय बिस्तर छोड़ देना चाहिए। सूर्योदय के बाद उठने से आलस्य बढ़ता है।