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क्‍यों बांधते हैं हम हाथ मे मौली या कलावा

किसी भी शुभ कार्य से पहले या कोई भी पूजा करने से पहले तिलक किया जाता है और हाथों पर रक्षा सूत्र बांधते हैं फिर पूजा शुरू की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं, ये रक्षा सूत्र क्यों बाधी जाती है। गौरतलब है कि कलावा बांधने की परंपरा तब

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 03:40 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 04:35 PM (IST)
क्‍यों बांधते हैं हम हाथ मे मौली या कलावा

किसी भी शुभ कार्य से पहले या कोई भी पूजा करने से पहले तिलक किया जाता है और हाथों पर रक्षा सूत्र बांधते हैं फिर पूजा शुरू की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं, ये रक्षा सूत्र क्यों बाधी जाती है। गौरतलब है कि कलावा बांधने की परंपरा तब से चली आ रही है, जब से महान, दानवीरों में अग्रणी महाराज बलि की अमरता के लिए वामन भगवान ने उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था। इसे रक्षा कवच के रूप में भी शरीर पर बांधा जाता है।

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बताया जाता है कि इंद्र जब वृत्रासुर से युद्ध करने जा रहे थे तब इंद्राणी शची ने इंद्र की दाहिनी भुजा पर रक्षा-कवच के रूप में कलावा बांध दिया था और इंद्र इस युद्ध में विजयी हुए। उसके बाद से ये रक्षा सूत्र बांधा जाता है। वहीं इसके अनुष्ठान की बाधांए दूर हो जाती है। शास्त्रों का ऐसा मत है कि कलावा बांधने से त्रिदेव, ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति विष्णु की अनुकंपा से रक्षा बल मिलता है और शिव दुर्गुणों का विनाश करते हैं।

इसी प्रकार लक्ष्मी से धन, दुर्गा से शक्ति एवं सरस्वती की कृपा से बुद्धि प्राप्त होती है। वहीं अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो स्वास्थ्य के अनुसार रक्षा सूत्र बांधने से कई बीमारियां दूर होती है, जिसमें कफ, पित्त आदि शामिल है। शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण हाथ की कलाई में होता है, अतः यहां रक्षा सूत्र बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। ऐसी भी मान्यता है कि इसे बांधने से बीमारी अधिक नहीं बढती है। ब्लड प्रेशर, हार्ट एटेक, डायबीटिज और लकवा जैसे रोगों से बचाव के लिये मौली बांधना हितकर बताया गया है।

मौली यानी रक्षा सूत्र शत प्रतिशत कच्चे धागे ,सूत, की ही होनी चाहिए। मौली बांधने की प्रथा तब से चली आ रही है जब दानवीर राजा बलि के लिए वामन भगवान ने उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था।

रक्षा सूत्र कब और कैसे धारण करे:

पुरुषों और अविवाहित कन्याओं के दाएं हाथ में और विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ में रक्षा सूत्र बांधी जाती है। जिस हाथ में कलावा या मौली बांधें उसकी मुट्ठी बंधी हो एवं दूसरा हाथ सिर पर हो। इस पुण्य कार्य के लिए व्रतशील बनकर उत्तरदायित्व स्वीकार करने का भाव रखा जाए। पूजा करते समय नवीन वस्त्रों के न धारण किए होने पर मौली हाथ में धारण अवश्य करना चाहिए। धर्म के प्रति आस्था रखें। मंगलवार या शनिवार को पुरानी मौली उतारकर नई मोली धारण करें, संकटों के समय भी रक्षासूत्र हमारी रक्षा करते हैं।

व्यापार और घर में मौली का प्रयोग:

वाहन, कलम, बही खाते, फैक्ट्री के मेन गेट, चाबी के छल्ले, तिजोरी पर पवित्र मौली बांधने से लाभ होता है, महिलाये मटकी, कलश, कंडा, अलमारी, चाबी के छल्ले, पूजा घर में मौली बांधें या रखें मोली से बनी सजावट की वस्तुएं घर में रखेंगी तो नई खुशियां आती है। नौकरी पेशा लोग कार्य करने की टेबल एवं दराज में पवित्र मौली रखें या हाथ में मौली बांधेंगे तो लाभ प्राप्ति की संभावना बढ़ती है। मौली बांधते वक्त इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है- येन बद्धो बलीराजा दावेंद्रो महाबलः !

तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे माचल माचल !!

आपने अक्सर देखा होगा कि घरों और मंदिरों में पूजा के बाद पंडित जी हमारी कलाई पर लाल रंग का कलावा या मौली बांधते हैं और, हम में से बहुत से लोग बिना इसकी जरुरत को पहचाते हुए इसे हाथों में बंधवा लेते हैं।

दरअसल मौली का धागा कोई ऐसा-वैसा धागा नहीं होता है बल्कि, यह कच्चे सूत से तैयार किया जाता है और, यह कई रंगों जैसे, लाल,काला, पीला अथवा केसरिया रंगों में होती है।मौली को लोग साधारणतया लोग हाथ की कलाई में बांधते हैं.! और, ऐसा माना जाता है कि हाथ में मौली का बांधने से मनुष्य को भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वती एवं सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है।

कहा जाता है कि हाथ में मौली धागा बांधने से मनुष्य बुरी दृष्टि से बचा रहता है क्योंकि भगवान उसकी रक्षा करते हैं ! और, इसीलिए कहा जाता है क्योंकि हाथों में मौली धागा बांधने से मनुष्य के स्वास्थ्य में बरकत होती है कारण कि, इस धागे को कलाई पर बांधने से शरीर में वात,पित्त तथा कफ के दोष में सामंजस्य बैठता है।तथा, ये सामंजस्य इसीलिए हो पाता हैं क्योंकि शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण हाथ की कलाई में होता है आपने देखा होगा कि डॉक्टर रक्तचाप एवं ह्रदय गति मापने के लिए कलाई के नस का उपयोग प्राथमिकता से करते हैं . इसीलिए वैज्ञानिकता के तहत हाथ में बंधा हुआ मौली धागा एक एक्यूप्रेशर की तरह काम करते हुए मनुष्य कोर क्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर रोगों से काफी हद तक बचाता है एवं, इसे बांधने वाला व्यक्ति स्वस्थ रहता है।


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