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कपाट खुलने की प्रक्रिया कल से, जानें कब और क्या है पूजा की प्रक्रिया

गुरुवार से बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इसके लिए मंदिर समिति ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। शुरुआत जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर में पूजा अर्चना के साथ होगी। बुधवार को बदरीनाथ के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी जोशीमठ पहुंचेंगे। श्री बदरीनाथ धाम

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 22 Apr 2015 12:10 PM (IST)Updated: Wed, 22 Apr 2015 12:21 PM (IST)
कपाट खुलने की प्रक्रिया कल से, जानें कब और क्या है पूजा की प्रक्रिया

गोपेश्वर। गुरुवार से बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इसके लिए मंदिर समिति ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। शुरुआत जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर में पूजा अर्चना के साथ होगी। बुधवार को बदरीनाथ के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी जोशीमठ पहुंचेंगे।

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श्री बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 24 अप्रैल की सुबह पूजा अर्चना के बाद शंकराचार्य की गद्दी बदरीनाथ के लिए रवाना हो जाएगी।

ये है कार्यक्रम-

23 अप्रैल-जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में गरुड़ छाड़ा पूजा सांय को चार बजे। आठ बजे पहुंचेगी गाडू घड़ी यात्रा

-24 अप्रैल- सुबह 9-30 बजे रावल व धर्माधिकारी के नेतृत्व में वेदपाठियों द्वारा गणेश पूजन। इसके बाद शंकराचार्य की गद्दी पूजा और कपाट खोलने के लिए शंकराचार्य गद्दी होगी बदरीनाथ रवाना। पांडुकेश्वर के योगध्यान मंदिर में रात्रि विश्राम

-25 अप्रैल-पांडुकेश्वर के योगध्यान मंदिर में प्रात: अभिषेक पूजा के बाद उद्वव व कुबेर डोलियां होंगी रवाना। शाम को बदरीनाथ पहुंचेंगी।

-26 अप्रैल- बदरीनाथ में तड़के 3.50 बजे पूजा अर्चना शुरू। प्रात: 4.45 बजे रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल के साथ वेदपाठी व डिमरी समुदाय बामणी गांव के हक हकूकधारी परिक्रमा स्थल पर पहुंचेंगे। इसके बाद रावल के नेतृत्व में द्वार पूजन के बाद टिहरी नरेश के प्रतिनिधि प्रथम चाबी ताले में डालेगे। इसके बाद द्वार पर लगे तीन तालों में बदरी-केदार मंदिर समिति के मेहता थोक , भंडारी थोक के प्रतिनिधि अधिकारियों के सामने अपने -अपने ताले खोलेंगे। इसके बाद मंदिर के गर्भगृह में ताला समिति खोलेगी। प्रात. 5.15 बजे श्री बदरीनाथ धाम के कपाट विधिवत खोल दिए जाएंगे। कपाट खुलने के बाद सर्व प्रथम दीप दर्शन के साथ ही रावल गर्भगृह में जाकर घृत कंबल को हटाकर इसे प्रसाद के रूप में वितरित करेंगे देंगे। इसी के साथ भगवान का निर्वाण दर्शन होंगे।


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