गुरूवार को इनकी पूजा करने से धन, विद्या, पुत्र व मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है
गुरुवार को भगवान बृहस्पति की पूजा का विधान है|इस पूजा से परिवार में सुख-शांति रहती है| जल्द विवाह के लिए भी गुरुवार का व्रत किया जाता है|
गुरूवार या वीरवार को भगवान बृहस्पति की पूजा का विधान है| बृहस्पति देवता को बुद्धि और शिक्षा का देवता माना जाता है| गुरूवार को बृहस्पति देव की पूजा करने से धन, विद्या, पुत्र तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है| परिवार में सुख तथा शांति रहती है| गुरूवार का व्रत जल्दी विवाह करने के लिये भी किया जाता है|
ब्रहस्पतिवार व्रत की विधि
इस दिन ब्रह्स्पतेश्वर महादेव जी की पूजा होती है |
दिन में एक समय ही भोजन करें |
पीले वस्त्र धारण करें, पीले पुष्पों को धारण करें |
भोजन भी चने की दाल का होना चाहिए |
नमक नहीं खाना चाहिए |
पीले रंग का फूल, चने की दाल, पीले कपडे तथा पीले चन्दन से पूजा करनी चाहिए |
पूजन के बाद कथा सुननी चाहिए |
इस व्रत से ब्रहस्पति जी खुश होते है तथा धन और विद्या का लाभ होता है |
यह व्रत महिलाओ के लिए अति आवश्यक है |
इस व्रत मे केले का पूजन होता है |
गुरुवार को भगवान बृहस्पति की पूजा का विधान है|इस पूजा से परिवार में सुख-शांति रहती है| जल्द विवाह के लिए भी गुरुवार का व्रत किया जाता है |
गुरुवार की पूजा विधि-विधान के अनुसार की जानी चाहिए | व्रत वाले दिन सुबह उठकर बृहस्पति देव का पूजन करना चाहिए. बृहस्पति देव का पूजन पीली वस्तुएं, पीले फूल, चने की दाल, मुनक्का, पीली मिठाई, पीले चावल और हल्दी चढ़ाकर किया जाता है | इस व्रत में केले के पेड़ की का पूजा की जाती है | कथा और पूजन के समय मन, कर्म और वचन से शुद्ध होकर मनोकामना पूर्ति के लिए बृहस्पतिदेव से प्रार्थना करनी चाहिए |
जल में हल्दी डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाएं | केले की जड़ में चने की दाल और मुनक्का चढ़ाएं साथ ही दीपक जलाकर पेड़ की आरती उतारें | दिन में एक समय ही भोजन करें | खाने में चने की दाल या पीली चीजें खाएं, नमक न खाएं, पीले वस्त्र पहनें, पीले फलों का इस्तेमाल करें | पूजन के बाद भगवान बृहस्पति की कथा सुननी चाहिए |