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जानें, पुत्र प्राप्ति की हनुमान कथा

जब कोई भक्त हनुमानजी को सच्चे मन से याद करता है तब आसानी से हनुमानजी उस पर प्रसन्न हो जाते है |

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 23 May 2016 12:49 PM (IST)Updated: Tue, 24 May 2016 10:36 AM (IST)

जब कोई भक्त हनुमानजी को सच्चे मन से याद करता है तब आसानी से हनुमानजी उस पर प्रसन्न हो जाते है |

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आइये जाने हनुमानजी को खुश करके उनकी विशेष कृपा पाने के कुछ नियम और कार्य | हर दिन भगवान श्री हनुमान की मूर्ति का मंदिर में जा कर दर्शन करे | सुबह जगने के बाद और रात्रि में सोने से पहले हनुमान चालीसा या हनुमान मंत्र का जाप करे |दिन में कम से कम एक बार हनुमान चालीसा पूर्ण ध्यान और समझते हुए पढ़े |

यदि हो सके तो मंगलवार को पूर्ण रूप से मांसाहारी खाना और मादक पेय त्याग दे | हनुमान भक्त को श्री राम और माँ जानकी की भी पूजा करनी चाहिए | हो सके तो मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी का व्रत करना चाहिए | हर मंगलवार या शनिवार को हनुमान मंदिर में बालाजी की लाल मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाना चाहिए उसके बाद जनेऊ पहनानी चाहिए फिर उन्हें गुड चन्ना या केले का प्रसाद चढ़ा कर हो सके तो वानरों को यह प्रसाद खिलाना चाहिए |

इस तरह इन बातो का ध्यान और पालन करते हुए आप बालाजी महाराज की विशेष कृपा के पात्र बन सकते है | समर्पण और धैर्य ही उचित कुंजी है हनुमान कृपा द्वार खोलने के लिए |

पुत्र प्राप्ति की हनुमान कहानी :

एक समय की बात है एक ब्राह्मण पत्नी और पति थे | उनके कोई संतान नही थी इसी कारणवश वे दुखी थे | ब्राह्मण हनुमान जी का परम भक्त था और अपनी हर प्रार्थना में संतान प्राप्ति की ही विनती करता था | दूसरी तरफ उसकी पत्नी भी बालाजी की परमभक्त थी , वह भी हर मंगलवार हनुमानजी का व्रत रखती थी और अपने सम्पूर्ण दिन को हनुमानजी की सेवा में लगा देती थी |

एक मंगलवार ऐसा आया जब वो हनुमान जी भोग के लिए प्रसाद की व्यवस्था नहीं कर सकी | उसे उस दिन बहूत दुःख हुआ और उसने यह प्रण लिया की अब वो पुरे सप्ताह व्रत रखेगी | सप्ताह भर भूखे पेट रहने से वो महिला बड़ी कमजोर हो गयी | भगवान श्री हनुमान अपने इस भक्त यह त्याग देख रहे थे | अब उनसे भी रहा ना गया और उन्होंने उस महिला को बालक के रूप में दर्शन दिए | महिला उस बालक के चरणों में गिर गयी , वो समझ चुकी थी की वो बालक कोई और नहीं अपितु हनुमान ही है |

बालक हनुमान ने उन्हें आशीष रूप में एक पुत्र दिया जिसका नाम उस महिला ने मंगल रखा | उसके बाद हनुमान जी अद्रश्य हो गये | शाम को जब ब्राह्मण घर आया तब उसने देखा की उनके घर के आँगन में कोई बालक खेल रहा है |

ब्राह्मण पत्नी ने अपनी आपबीती और हनुमान जी कृपा के बारे में ब्राह्मण को बताया परन्तु उसके पति को उसपर तनिक विश्वास नहीं हुआ | वो उस बच्चे से नफरत करने लगा और मन ही मन उसे मारने के योजना बनाने लगा |

एक दिन उसने देखा की मंगल कुआं पर पानी खीचने जा रहा था | वो ब्राह्मण उसके पीछे पीछे गया और मौौका मिलते ही मंगल को धक्का देकर कुंआ में धकेल दिया और फिर घर आ गया | लेकिन अब उसको खुद से नफरत होने लगी की उसने एक बालक को मौत के मुंह में छोड़ दिया |

उसे खुद से इतनी ग्लानी हुई की वो अपनी पत्नी के सामने भी नहीं आ सकता था | इसी कारण उनसे घर छोड़ने का निर्णय लिया | तभी मंगल उसके सामने आ गया | ब्राह्मण को अपनी आँखों पर यकीन नही हो पा रहा था | रात्रि में हनुमानजी ने ब्राह्मण को सपने में दर्शन दिए और बोले की अपनी पत्नी की बात पर यकीन करो वो सत्य ही बोल रही है |

तब ब्राह्मण को महसूस हुआ की उसने गलती की है , उसने अपनी पत्नी से माफ़ी मांगी और फिर वो ख़ुशी ख़ुशी अपने पुत्र मंगल के साथ रहने लगे |

इस तरह हनुमान जी ने जेसे इस ब्राह्मण जोड़े को अपना आशीष दिया वेसे ही सभी भक्तो पर अपना आशीष रखे |


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