Move to Jagran APP

क्या है करवाचौथ के व्रत की विधि

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी अर्थात उस चतुर्थी की रात्रि को जिसमें चंद्रमा दिखाई देने वाला है, उस दिन प्रात: स्नान करके अपने सुहाग (पति) की आयु, आरोग्य, सौभाग्य का संकल्प लेकर दिनभर निराहार रहें। सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियां अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं। सायंकाल चंद्रमा के

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 10 Oct 2014 04:41 PM (IST)Updated: Sat, 11 Oct 2014 09:20 AM (IST)

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी अर्थात उस चतुर्थी की रात्रि को जिसमें चंद्रमा दिखाई देने वाला है, उस दिन प्रात: स्नान करके अपने सुहाग (पति) की आयु, आरोग्य, सौभाग्य का संकल्प लेकर दिनभर निराहार रहें। सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियां अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं। सायंकाल चंद्रमा के उदित होने पर चंद्रमा का पूजन कर अ‌र्घ्य प्रदान करें।

loksabha election banner

पूजन

उस दिन भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा का पूजन करें। पूजन करने के लिए बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर उपरोक्त वर्णित सभी देवों को स्थापित करें।

नैवेद्य

शुद्ध घी में पूरी और हलुवा अथवा खांड मिलाकर मोदक (लड्डू) नैवेद्य हेतु बनाएं।

करवा

मिट्टी से तैयार किए गए मिट्टी के करवे अथवा तांबे के बने हुए करवे।

व्रत का विधि-विधान-

करवा चौथ के व्रत के दिन शाम को लकड़ी के पटिए पर लाल वस्त्र बिछाएं। इसके बाद पटिए पर भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें। वहीं एक लोटे पर श्रीफल रखकर उसे कलावे से बांधकर वरुण देवता की स्थापना करें। तत्पश्चात मिट्टी के करवे में गेहूं, शक्कर व नकद रुपया रखकर कलावा बाँधे।

इसके बाद धूप, दीप, अक्षत व पुष्प चढ़ाकर भगवान का पूजन करें। पूजन के समय करवे पर 13 बार टीका कर उसे सात बार पटिए के चारों ओर घुमाएं। हाथ में गेहूँ के 13 दाने लेकर करवा चौथ की कथा का श्रवण करें। पूजन के दौरान ही सुहाग का सारा सामान चूड़ी, बिछिया, सिंदूर, मेंहदी, महावर आदि करवा माता पर चढ़ाकर अपनी सास या ननद को दें। फिर र्चद को अ‌र्घ्य देकर अपने पति के हाथों से पानी और पहला निवाला खाकर व्रत खोलें।

करवा चौथ के व्रत की सही विधि-

1. सूर्योदय से पहले स्नान कर के व्रत रखने का संकल्प लें और सास द्धारा भेजी गई सरगी खाएं। सरगी में , मिठाई, फल, सेंवई, पूड़ी और साज-श्रंगार का समान दिया जाता है। सरगी में प्याज और लहसुन से बना भोजन न खाएं।

2. सरगी करने के बाद करवा चौथ का निर्जल व्रत शुरु हो जाता है। मां पार्वती, महादेव शिव व गणेश जी का ध्यान पूरे दिन अपने मन में करती रहें।

करवा चौथ व्रत के लिये जरुरी सामग्री-

3. दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें। इस चित्रित करने की कला को करवा धरना कहा जाता है जो कि बड़ी पुरानी परंपरा है।

4. आठ पूरियों की अठावरी बनाएं। हलुआ बनाएं। पक्के पकवान बनाएं।

5. फिर पीली मिट्टी से मां गौरी और गणेश जी का स्वरूप बनाइये। मां गौरी की गोद में गणेश जी का स्वरूप बिठाइये। इन स्वरूपों की पूजा संध्याकाल के समय पूजा करने के काम आती है।

6. माता गौरी को लकड़ी के सिंहासन पर विराजें और उन्हें लाल रंग की चुनरी पहना कर अन्य सुहाग, सिंगार सामग्री अर्पित करें। फिर उनके सामने जल से भरा कलश रखें।

7. मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें। रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं।

8. गौरी गणेश के स्वरूपों की पूजा करें। इस मंत्र का जाप करें - ऊॅं नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥

अधिकतर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही पूजा करती हैं।

9. रात्रि पूजा के समय छननी के प्रयोग से चंद्र दर्शन करें और चन्द्रमा को अ‌र्घ्य प्रदान करें। फिर पति के पैरों को छूते हुए उनका आर्शीवाद लें। फिर पति देव को प्रसाद दे कर उनके हाथ से जल ग्रहण करें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.