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अगर किसी भी तरह की मनोकामना हो तो बृहस्पतिवार को ऐसा जरूर करें

यही कारण है कि बृहस्पति की उपासना भगवान शिव को प्रसन्नकर सांसारिक जीवन की कामना की जाती है। इसे विवाह, संतान, धन आदि की सिद्धि देने वाला माना गया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 15 Feb 2017 04:14 PM (IST)Updated: Thu, 16 Feb 2017 09:49 AM (IST)
अगर किसी भी तरह की मनोकामना हो तो बृहस्पतिवार को ऐसा जरूर करें
अगर किसी भी तरह की मनोकामना हो तो बृहस्पतिवार को ऐसा जरूर करें

गुरुवार के दिन विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि विष्णु भगवान की पूजा से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। गुरुवार के दिन पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए। पीला रंग भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। इसलिए भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग के कपड़ें पहने जाते हैं।

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गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह-सुबह केले के पेड़ की पूजा कर उसके नीचे घी का दीपक जलाना चाहिए। इसके साथ ही केले के पेड़ पर चने की दाल चढ़ाना शुभ होता है।पीले रंग की चीजें करें दान। गुरुवार के दिन पीले रंग की चीजें जैसे कपड़ें, अन्न का दान करना शुभ माना जाता है।

सत्यनारायण कथा: भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए गुरुवार को सत्यनारायण की कथा पढ़ते हैं।

जानें बृहस्पति व्रत के लाभ और पूजन विधि के बारे में

*वि*धा, बुद्धि, धन-धान्य, सुख-सुविधा, विवाह आदि के लिए गुरुवार को किये जाने वाले बृहस्पतिवार व्रत की अलग विशेषता है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना के साथ उनकी विधिवत पूजा की जाती है। इस व्रत से जन्म कुंडली में गुरु ग्रह के असरहीन प्रभाव के कारण कार्य में आ रही बाधाओं को दूर किया जा सकता है। किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम बृस्पतिवार अर्थात गुरुवार से प्रारंभ कर नियमित सात व्रत करने से अगर गुरु ग्रह से उत्पन्न होने वाले अनिष्ट दूर हो जाते हैं, तो इस व्रत को 16 सप्ताह या तीन साल तक लगातार करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

क्यों करें ?

यदि आप धन-संपत्ति में कमी या इस कारण रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं।

पग-पग पर बाधाएं उत्पन्न हो रहीं हैं। सुख-सौभाग्य में कमी महसूस हो रही है। आपकी बौद्धिकता, कार्यक्षमता और पराक्रम का क्षय हो रहा है। घर में पारिवारिक स्तर पर अशांति फैली हुर्इ है, तो इस व्रत से लाभ मिल सकता है। परिवार में सुखद और शुभ-शांति का माहौल बनता है। स्त्रियों के लिए यह व्रत बहुत ही शुभ फल देने वाला है तथा अविवाहित युवतियों को मनोवांछित जीवन साथी का बेहतर संयोग और सौभाग्य प्राप्त होता है।

कैसे करें ?

इस व्रत को घर या मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सा किया जाता है। केले के पेड़ की भी पूजा की जाती है। घर में पूजा करने से पहले एकांत स्थान पर विष्णु भगवान का चित्र स्थापित करना आवश्यक है। पूजा के लिए अपनाए जाने वाले सरल तरीके इस प्रकार हैं:-

1. व्रत करने वाले को एक दिन का उपवास रखना चाहिए, क्योंकि धार्मिक मान्यता और र्इश्वरीय श्रद्धा के अनुसार इस दिन एक ही समय भोजन किया जाता है।

2. व्रत के लिए गुरुवार के दिन सूर्योदय से पहले स्नानादि से निपटकर पीले परिधान में पीले फूलों, चने की दाल, पीला चंदन,बेसन की बर्फी, हल्दी व पीले चावल से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। बृहस्पतिदेव की प्रतिमा को केसर मिले दूध या पवित्र जल से स्नान करवाना चाहिए। पीले रंग की मिठार्इ का भोग लगाना चाहिए। इसके बाद प्रार्थना के लिए मंत्र निम्नलिखित है।

मंत्र –

धर्मशास्तार्थातत्वज्ञ ज्ञानविज्ञानपराग।

विविधार्तिहराचिन्त्य देवाचार्य नमोस्तुते।।

1. पूजन के बाद कथा सुननी चाहिए और आरती को लेकर प्रसाद का वितरण कर देना चाहिए।

2. नमक रहित भोजन के साथ उपवास को शाम के समय पीले अनाज से बने व्यंजन से तोड़ना चाहिए। जैसे बेसन का हलवा आदि।

विशेष-

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बृहस्पति ने शिव कृपा से देवगुरु का पद पाया। यही कारण है कि बृहस्पति की उपासना भगवान शिव को प्रसन्नकर सांसारिक जीवन की कामना की जाती है। इसे विवाह, संतान, धन आदि की सिद्धि देने वाला माना गया है। इसे पुरुष या स्त्री कोर्इ भी कर सकते हैं। व्रत करने वाली स्त्री को उस दिन सिर नहीं धोना चाहिए, जबकि पुरुष को शेविंग करने और नाखून काटने की मनाही होती है। बृहस्पतिवार के दिन शुभ असर के लिए सोने की अंगूठी में पुखराज पहनना चाहिए। भगवान विष्णु को ध्यान में रखकर छल, कपट

और स्वार्थ रहित मन से पूजा करने से इस व्रत का सर्वश्रेष्ठ लाभ मिलता है।

नीचे लिखे मंत्र का स्मरण करते हुए पूजा के बाद गुरु ग्रह से संबंधित पीली सामग्रियों जैसे पीली दाल, वस्त्र, गुड़,

सोना आदि का यथाशक्ति दान करें -

जीवश्चाङ्गिर-गोत्रतोत्तरमुखो दीर्घोत्तरा संस्थित:

पीतोश्वत्थ-समिद्ध-सिन्धुजनिश्चापो थ मीनाधिप:।

सूर्येन्दु-क्षितिज-प्रियो बुध-सितौ शत्रूसमाश्चापरे

सप्ताङ्कद्विभव: शुभ: सुरुगुरु: कुर्यात् सदा मङ्गलम्।।

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