इस तरह हनुमानजी को प्रसन्न कर कोई भी बाधा से मुक्ति पा सकते हैं
हनुमानजी संकटमोचक है, भक्तों का मानना है कि उनको प्रसन्न करने से वे हमारे संकट हर लेते हैं। हर मंगलवार आप सबसे बड़े भक्त हनुमान जी की पूजा करते हैं।
हनुमानजी संकटमोचक है, भक्तों का मानना है कि उनको प्रसन्न करने से वे हमारे संकट हर लेते हैं। हर मंगलवार आप सबसे बड़े भक्त हनुमान जी की पूजा करते हैं, अलग-अलग तरीके से उन्हें प्रसन्न करते हैं। आइए जानें ऐसा क्या करें कि हनुमान जी काा आर्शीवाद हम पर बनी रहे ।
क्या आप जानते हैं कि चुटकी भर सिंदूर का लेपन करके मिठाई का अर्पण, लाल वस्त्र से महावीर का पूजन, सुंदरकांड का पाठ और रामायण ग्रंथ का दान आदि से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं । श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमानजी की कृपा प्राप्त होते ही भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं। हनुमानजी शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवी-देवताओं में से एक हैं। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस के अनुसार माता सीता द्वारा पवनपुत्र हनुमानजी को अमरता का वरदान दिया गया है। इसी वरदान के प्रभाव से इन्हें भी अष्टचिरंजीवी में शामिल है।
शीघ्र प्रसन्न होने वाले प्रभु हनुमानजी के पूजन में निम्न सावधानियां रखनी अत्यंत आवश्यक हैं : - हनुमानजी की पूजा-अर्चना और व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन कर संयमपूर्वक रहना चाहिए। ध्यान रहे जो भी प्रसाद हनुमान को चढ़ाया जाए वह शुद्ध होना चाहिए। हनुमानजी की पूजा में घी अथवा चमेली के तेल का दीपक ही उत्तम होता है। प्रभु हनुमानजी को लाल फूल प्रिय हैं। उन्हें पूजा में लाल फूल ही चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं।हनुमानजी की मूर्ति को जल व पंचामृत से स्नान कराने के बाद सिंदूर में तिल का तेल मिलाकर लगाने से वे प्रसन्न होते हैं। हनुमानजी की साधना हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुंह करके ही करना चाहिए।
।।संकटमोचन हनुमानाष्टक।।
शारीरिक, मानसिक और बाहरी (भूत-प्रेत) नजर इत्यादि बीमारियों से परेशान मनुष्य पवन पुत्र हनुमान जी की आराधना करें। मरीज अवश्य ही ठीक हो जाएगा। माना जाता है कि श्री हनुमान मंत्र (जंजीरा) जो कि इक्कीस दिन में सिद्ध हो जाता है। का पाठ बेहद महत्वपूर्ण है ।
श्री हनुमान मंत्र (जंजीरा)
ॐ हनुमान पहलवान पहलवान, बरस बारह का जबान,
हाथ में लड्डू मुख में पान, खेल खेल गढ़ लंका के चौगान,
अंजनी का पूत, राम का दूत, छिन में कीलौ
नौ खंड का भूत, जाग जाग हड़मान
हुँकाला, ताती लोहा लंकाला, शीश जटा
डग डेरू उमर गाजे, वज्र की कोठड़ी ब्रज का ताला
आगे अर्जुन पीछे भीम, चोर नार चंपे
ने सींण, अजरा झरे भरया भरे, ई घट पिंड
की रक्षा राजा रामचंद्र जी लक्ष्मण कुँवर हड़मान करें।
इस मंत्र की प्रतिदिन एक माला जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। हनुमान मंदिर में जाकर साधक अगरबत्ती जलाएँ। इक्कीसवें दिन उसी मंदिर में एक नारियल व लाल कपड़े की एक ध्वजा चढ़ाएँ। जप के बीच होने वाले अलौकिक चमत्कारों का अनुभव करके घबराना नहीं चाहिए। यह मंत्र भूत-प्रेत, डाकिनी-शाकिनी, नजर, टपकार व शरीर की रक्षा के लिए अत्यंत सफल है।
उपद्रव शांत करने का मंत्र
उपद्रव शांत करने के लिए चक्रेश्वरी देवी की आराधना करें। नीचे दिए गए मंत्र का 21 दिन तक 10 माला प्रतिदिन फेरें। 21 दिन के बाद प्रतिदिन एक माला फेरें। यह मंत्र अत्यंत लाभप्रद है। इसके करने से किसी भी प्रकार का उपद्रव होगा, वह शांत हो जाएगा।
ॐ ह्रीं श्रीं चक्रेश्वरी, चक्रवारुणी,
चक्रधारिणी, चक्रवे गेन मम उपद्रवं
हन-हन शांति कुरु-कुरु स्वाहा।