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शनि की साढ़ेसाती और ढैया पढऩे में अरुचि व कई परेशानी पैदा करती है

शास्त्रनुसार शनि की साढ़ेसाती व ढैया लगना, यह तभी फलीभूत होते हैं जब शनि की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो अथवा जब शनि कुण्डली में खराब भावों का सूचक हो।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 10 Feb 2017 11:18 AM (IST)Updated: Sat, 11 Feb 2017 09:37 AM (IST)
शनि की साढ़ेसाती और ढैया पढऩे में अरुचि व कई परेशानी पैदा करती है
शनि की साढ़ेसाती और ढैया पढऩे में अरुचि व कई परेशानी पैदा करती है

ज्योतिष के अनुसार शनि की साढ़ेसाती और ढैया भी पढऩे में अरुचि पैदा कर देती हंै। अत: किसी ज्ञानी पंडित द्वारा विद्यार्थी की पत्री को पढ़वाकर उसके उपाय करना उचित रहता है। इसके लिए सरसों के तेल का छाया दान या शनि की वस्तुओं का दान लाभदायक होता है। शनि के मंत्रों का जप व शनि मंदिर के दर्शन मन को एकाग्रचित्त करते हैं।

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प्राणायाम अत्यंत प्रभावशाली- मन को एकाग्रचित्त करने के लिए प्राणायाम अत्यंत प्रभावशाली पाया गया है। इससे शरीर के अंदर की अशुद्ध वायु बाहर निकल जाती है और स्वच्छ वायु शरीर के स्नायुओं को पुन: क्रियांवित व ऊर्जित कर देती है। इससे शरीर में शक्ति व स्फूर्ति पैदा होती है और मन एकाग्र हो जाता है। इसके लिए एक समय में केवल पांच से दस बार सांस लेने और छोडऩे की प्रक्रिया को पूरी करें। परीक्षाओं के समय 5 से 10 बार तक अपने पढऩे के स्थान पर ही प्राणायाम कर लेना लाभदायक होता है।

26 जनवरी से शन‌ि देव राशि परिवर्तन किये , वे धनु राश‌ि में प्रवेश किये उसके बाद वृश्च‌िक, धनु, मकर राश‌ि में साढ़ेसाती का आरंभ हुआ और वृष एवं कन्या राश‌ि के जातक ढ़ैय्या के दौर से गुजरेंगे। शनि की दशा आप पर भी पड़ने वाली है भारी तो आपके साथ होने लगेगा कुछ ऐसा, जिससे आप जान सकेंगे की शनि दे रहे हैं अशुभ प्रभाव। ज्योत‌िषशास्त्री मानते हैं की शन‌ि जब अशुभ प्रभाव देते हैं, तब एक के बाद एक परेशानी आती रहती है और व्यक्ति को दीमक की तरह खोकला करने लगती है। शन‌ि की साढ़ेसाती और ढैय्या से परेशान व्यक्ति की चप्पल अथवा जूते अचानक से टूट जाते हैं या खो जाते हैं। तामस‌‌िक चीजों की तरफ झुकाव बढ़ने लगता है जैसे मांस-मद‌िरा के सेवन की चाह बढ़ने लग जाती है। जो लोग इन चीजों को पसंद नहीं करते, वो भी इस ओर आकर्षित होने लगते हैं। जब घर-परिवार पर शनि भारी होने लगते हैं तो घर का कोई ह‌िस्सा टूट कर ग‌िर जाता है अथवा दीवारों में दरारें आने लगती हैं।

कारोबार और व्यवसाय में आचानक से धन हानि होने लगती है। घर में चोरी हो जाती है या चीजें गुम हो जाती हैं।

पैरों के रोग या हड्ड‌ियों से संबंधित बीमारियां घेरे रहती हैं। बनते हुए काम बिगड़ जाना, हर काम में नुकसान पहुंचना, जीवन के हर क्षेत्र में असफलता मिलना या अनिष्ट होना।

इसके अलावा शनि अपनी महादशा व अंतर्दशा आदि से व्यक्ति का जीवन झंझोड़ देता है। इसके अलावा जन्मराशि से शनि विभिन्न स्थानों पर गोचर करता हुआ कभी साढ़ेसाती या ढैया के रूप में व्यक्ति पर कंटक का प्रभाव डालता है। शास्त्रनुसार शनि की साढ़ेसाती व ढैया लगना, यह तभी फलीभूत होते हैं जब शनि की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो अथवा जब शनि कुण्डली में खराब भावों का सूचक हो। अगर यह अशुभ नहीं है या दशा नहीं चल रही हो तो शनि व्यक्ति को हानि नहीं देता है। शनि का कार्य मात्र अनुचित व पाप कर्म का फल अपनी दशा व गोचर के दौरान देना है।


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