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2015 में अधिकमास के कारण पहले होंगे कई त्योहार, जाने कैसे व क्यों

आने वाले साल 2015 में प्रमुख त्योहारों की तिथियां काफी बदला हुआ रहेगा। 2015 के जनवरी से जून तक आने वाले त्योहार इस साल 2014 के मुकाबले कुछ दिन पहले की तारीखों में पड़ेंगे। यह स्थिति अधिकमास के कारण बनेगी। यानि गत 18 अगस्त से 13 सितंबर 2012 में अधिकमास

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 18 Dec 2014 01:02 PM (IST)Updated: Thu, 18 Dec 2014 01:11 PM (IST)
2015 में अधिकमास के कारण पहले होंगे कई त्योहार, जाने कैसे व क्यों

आने वाले साल 2015 में प्रमुख त्योहारों की तिथियां काफी बदला हुआ रहेगा। 2015 के जनवरी से जून तक आने वाले त्योहार इस साल 2014 के मुकाबले कुछ दिन पहले की तारीखों में पड़ेंगे।

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यह स्थिति अधिकमास के कारण बनेगी। यानि गत 18 अगस्त से 13 सितंबर 2012 में अधिकमास होने के कारण दो भादों थे और 2015 में दो आषाढ़ होंगे, जबकि 2018 में 16 मई से 13 जून तक दो जेठ होंगे। यानी नए वर्ष के शुरू के छह माह में त्योहार गत वर्ष की अपेक्षा दस दिन पहले और बाद के छह माह में देरी से होंगे। ज्योतिषी इसकी वजह नए साल में दो आषाढ़ होना मान रहे हैं।

वहीं जानकार भी नए साल में दो आषाढ़ मास होने की बात कह रहे हैं। यानी जून में अधिक मास की स्थिति बनेगी, इसलिए इसके खत्म होने के बाद जो त्योहार आएंगे, वे दस से 20 दिन की देरी से होंगे। इस साल की अपेक्षा आगामी वर्ष 2015 में जनवरी से जून तक आने वाले त्योहार 10 से 11 दिन पहले और जुलाई से दिसंबर तक होने वाले त्योहार 10 से 15 दिन की देरी से आएंगे।

पंडितों का कहना है कि हर तीसरे वर्ष में अधिक मास होता है।

ज्योतिष के मुताबिक 6, 7 दिसंबर वर्ष 2014 में विवाह के अंतिम श्रेष्ठ मुहूर्त थे। 16 दिसंबर को सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही मलमास शुरू हो गया है। मलमास में शादी-ब्याह शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त नहीं निकलेंगे। अब मलमास खत्म होने 16 जनवरी तक इंतजार करना होगा। वर्ष 2015 में जनवरी से जुलाई देवताओं तक कुल 34 दिन विवाह के शुभ मुहूर्त आएंगे।

सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को संक्रांति होना कहते हैं। सौर मास 12 और राशियां भी 12 होती हैं। जब दो पक्षों में संक्रांति नहीं होती, तब अधिकमास होता है। आमतौर पर यह स्थिति 32 माह और 16 दिन में एक बार यानी हर तीसरे वर्ष में बनती है। ऐसा सूर्य और पृथ्वी की गति में होने वाले परिवर्तन से तिथियों का समय घटने-बढऩे के कारण होता है। नए वर्ष में आषाढ़ 3 जून को शुरू होकर 30 जुलाई तक रहेगा। इस अवधि में 17 जून से 16 जुलाई तक की अवधि को अधिकमास माना जाएगा। इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है।

मौजूदा वर्ष की तुलना में पर्वों की तारीख हर तीन साल में घट-बढ़ गईं हैं। अब साल 2015 में आने वाले त्योहार 20 दिन बाद तक 10 दिन पहले आएंगे। ये पर्व वर्ष 2015 में अधिकमास के कारण बदल रहे हैं। त्योहारों की तिथियों का गणित, आषाढ़ के दो महीने पहले से आने के कारण हुआ है।

सूर्य और पृथ्वी की गति में होने वाले परिवर्तन से तिथियों का समय घटने-बढऩे के कारण होता है। नए वर्ष में आषाढ़ 3 जून को शुरू होकर 30 जुलाई तक रहेगा। इस अवधि में 17 जून से 16 जुलाई तक की अवधि को अधिकमास माना जाएगा। इसे पुरूषोत्तम मास भी कहा जाता है।

त्योहार वर्ष 2014 वर्ष 2015

माघी(मौनी) अमावस्या- 30 जनवरी 20 जनवरी

वसंत पंचमी- 4 फरवरी 24 जनवरी

मां नर्मदा जयंती- 6 फरवरी 26 जनवरी

महाशिवरात्रि- 27 फरवरी 17 फरवरी

होली- 17 मार्च 6 मार्च

चैत्र नवरात्र(गुड़ी पड़वा)- 31 मार्च 21 मार्च

राम नवमी- 8 अप्रैल 28 मार्च

महावीर जयंती- 13 अप्रैल 2 अप्रैल

हनुमान जयंती- 15 अप्रैल 4 अप्रैल

अक्षय तृतीया- 2 मई 21 अप्रैल

कबीर जयंती- 13 जून 2जून

त्योहार वर्ष- 2014 वर्ष 2015

भड़लीनवमी- 6 जुलाई 25 जुलाई

चातुर्मास प्रारंभ- 8 जुलाई 27 जुलाई

रक्षाबंधन- 10 अगस्त 29 अगस्त

जन्माष्टमी- 18 अगस्त 5 सितंबर

गणेश चतुर्थी- 29 अगस्त 17 सितंबर

शारदीय नवरात्र- 25 सितंबर 13 अक्टूबर

दशहरा- 3 अक्टूबर 22 अक्टूबर

शरद पूर्णिमा- 8 अक्टूबर 27 अक्टूबर

दीपावली- 23 अक्टूबर 11 नवंबर

काल भैरव अष्टमी- 14 नवंबर 3 दिसंबर


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