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किसने बनाई इतने दुर्गम, इलाके में 3000 फीट की ऊंचाई पर यह गणेश प्रतिमा

कुछ समय पहले पुरातत्व विभाग ने छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा जिला से लगभग 30 कि.मी. की दूर पर ढोलकल नाम की जगह पर भगवान गणेश की एक दुर्लभ मूर्ति की खोज की। ढोलकल की पहाड़ियों पर 3000 फीट की ऊंचाई पर सैकड़ों साल पुरानी यह भव्य गणेश प्रतिमा आज भी लोगों

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2016 02:55 PM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2016 11:35 AM (IST)
किसने बनाई इतने दुर्गम, इलाके में 3000 फीट की ऊंचाई पर यह गणेश प्रतिमा

कुछ समय पहले पुरातत्व विभाग ने छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा जिला से लगभग 30 कि.मी. की दूर पर ढोलकल नाम की जगह पर भगवान गणेश की एक दुर्लभ मूर्ति की खोज की। ढोलकल की पहाड़ियों पर 3000 फीट की ऊंचाई पर सैकड़ों साल पुरानी यह भव्य गणेश प्रतिमा आज भी लोगों के लिए आश्चर्य का विषय बनी हुई है। सदियों पहले इतने दुर्गम इलाके में इतनी ऊंचाई पर स्थापित की गई यह गणेश प्रतिमा आश्चर्य के कम नहीं है। यहां पर पहुंचना आज भी बहुत जोखिम भरा काम है तो उस समय पर तो यह काम और भी मुश्किल होगा। पुरातत्वविदों का अनुमान यह है 10वीं शताब्दी में दंतेवाड़ा क्षेत्र के रक्षक के रूप नागवंशियों ने गणेश जी की यह मूर्ति यहां पर स्थापना की थी।

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भव्य है यहां की गणेश प्रतिमा

पहाड़ी पर स्थापित गणेश प्रतिमा लगभग 6 फीट ऊंची और 21 फीट चौड़ी ग्रेनाइट पत्थर से बनी हुई है। यह प्रतिमा वास्तुकला की दृष्टि से बहुत ही कलात्मक है। गणपति की इस प्रतिमा में ऊपरी दाएं हाथ में फरसा, ऊपरी बाएं हाथ में टूटा हुआ एक दंत, नीचे दाएं हाथ में अभय मुद्रा में अक्षमाला धारण किए हुए तथा नीचे बाएं हाथ में मोदक धारण किए हुए हैं। पुरातत्वविदों के मुताबिक इस प्रकार की प्रतिमा बस्तर क्षेत्र में कहीं नहीं मिलती है।इसी जगह हुआ था

श्रीगणेश और परशुराम का युद्ध

दंतेश का क्षेत्र (वाड़ा) को दंतेवाड़ा कहा जाता है। इस क्षेत्र में एक कैलाश गुफा भी है। इस क्षेत्र से जुड़ी एक मान्यता है कि यह वही कैलाश क्षेत्र है, जहां पर श्रीगणेश एवं परशुराम के बीच युद्ध हुआ था। यहां पर दंतेवाड़ा से ढोलकल पहुंचने के मार्ग में एक ग्राम परसपाल मिलता है, जो परशुराम के नाम से जाना जाता है। इसके आगे ग्राम कोतवाल पारा आता है। कोतवाल का अर्थ होता है रक्षक।

दंतेवाड़ा क्षेत्र के रक्षक है श्रीगणेश

मान्यताओं के अनुसार, इतनी ऊंची पहाड़ी पर भगवान गणेश की स्थापित नागवंशी शासकों ने की थी। गणेश जी के उदर पर एक नाग का चिन्ह मिलता है। कहा जाता है कि मूर्ति का निर्माण करवाते समय नागवंशियों ने यह चिन्ह भगवान गणेश पर अंकित किया होगा। कला की दृष्टि से यह मूर्ति 10-11शताब्दी की (नागवंशी) प्रतिमा कही जा सकती है।


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