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विभीषण का मंदिर, लक्ष्मण ने सीता को यहीं पिलाया था पानी

आज भी सीताबाड़ी के इस कुंड पर मेला लगता है और सारे पवित्र स्नान होते हैं। यहां लव कुश के मंदिर भी हैं। दंतकथा है कि उनका जन्म यहीं हुआ था।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 10 Dec 2016 03:01 PM (IST)Updated: Sat, 10 Dec 2016 03:10 PM (IST)
विभीषण का मंदिर, लक्ष्मण ने सीता को यहीं पिलाया था पानी

झालावाड़ [ कोटा]। दीपोत्सव मनाने के पीछे सबसे बड़ी दंतकथा यही है कि इस दिन राजा राम लंका पर विजय और 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे। हाड़ौती में भी चार ऐसे स्थान हैं, जो रामायण काल की किसी न किसी किवदंती से जुड़े हैं। इसमें पहली है कैथून का विभीषण मंदिर। आचार्य भूपेंद्र शास्त्री के अनुसार भगवान राम के राज्याभिषेक के बाद विभीषण हनुमान जी और शिवजी को कावड़ में बिठाकर यात्रा पर निकले। लेकिन, शर्त थी कि यदि कावड़ कहीं जमीन को छू गई तो वहीं यात्रा पूरी हो जाएगी।

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विभीषण जब कैथून से निकल रहे थे तो कावड़ टिक गई। इसका एक सिरा कोटा में रंगबाड़ी बालाजी और दूसरा सिरा चारचौमा में टिका। जिसमें शिवजी विराजमान थे। इसी के अनुसार कैथून में विभीषण, रंगबाड़ी में बालाजी और चारचौमा में शिवजी का मंदिर स्थापित हुआ। रंगबाड़ी और चारचौमा की दूरी कैथून के मंदिर से बराबर (4-4 कोस) बताई जाती है। दूसरी दंतकथा बारां जिले के सीताबाड़ी मंदिर से जुड़ी है।

कहा जाता है कि जब धोबी के ताने पर भगवान राम ने माता सीता को वन में भेज दिया। इस जगह पर सीताजी को प्यास लगी तो लक्ष्मण ने जमीन में बाण चलाकर धारा प्रवाहित की। जिससे यहां कुंड बन गया। आज भी सीताबाड़ी के इस कुंड पर मेला लगता है और सारे पवित्र स्नान होते हैं। यहां लव कुश के मंदिर भी हैं। दंतकथा है कि उनका जन्म यहीं हुआ था।


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