श्री कृष्ण ने विवाह के लिए इस मंदिर से किया था रूकमणी का हरण
मान्यता है कि अविवाहित कन्याएं यदि सिन्दूर,घी का चोला चढ़ाती तो उनका विवाह शीघ्र होता। यहां रुक्मिणी ने कृष्ण को पति रूप प्राप्त के लिए देवी पूजन किया था।
भगवान विष्णु के अवतारों में भगवान श्री कृष्ण का अवतार न केवल सबसे अधिक रोचक बल्कि सर्वाधिक पूजित भी है। उन्होंने ऐसी-ऐसी लीलाएं रची कि उन्हें लीलाधर भी कहा जाता है। उनकी लीलाओं में एक लीला रुक्मिणी से उनका विवाह भी है, जो उन्होंने रुक्मिणी का हरण करके किया था। रुक्मिणी का हरण उन्होंने तब किया था, जब वे एक मंदिर में पूजा करने गई थी।
यह मंदिर आज भी मौजूद है और 'अवंतिका देवी मंदिर' के नाम से जाना जाता है, जो उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर जिले में अनूपशहर तहसील के जहांगीराबाद से करीब 15 किमी। दूर गंगा नदी के तट पर स्थित है।
'अवंतिका देवी मंदिर' का उल्लेख महाभारत और श्रीमद्भागवद में भी हुआ है। वर्तमान में यहां लोग दूर-दूर से देवी अवंतिका का दर्शना करने आते हैं। लोगों का मानना है कि इस मंदिर में देवी अवंतिका जिन्हें अम्बिका देवी भी कहते हैं, साक्षात् प्रकट हुई थीं।
इस मंदिर में दो मूर्तियां हैं, भगवती जगदंबा की और सतीजी की, और इन दोनों मूर्तियों को 'अवंतिका देवी' के नाम से पूजा जाता है। यहां भक्तगण देवी को पोशाक और चुनरी नहीं चढ़ाते हैं, बल्कि सिन्दूर और देशी घी का चोला अर्पित करते हैं।
लोगों का मानना है कि अविवाहित कन्याएं यदि सिन्दूर और देशी घी का चोला चढ़ाती हैं, तो उनका विवाह शीघ्र हो जाता है। इसके पीछे मान्यता यह है कि यहां रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए देवी का पूजन किया था।