Move to Jagran APP

इस मंदिर में आदि शंकराचार्य के माता- पिता ने संतान प्राप्ति के लिए अनुष्ठान किये थे

भारत के वडक्कुनाथन मंदिर के संरक्षण के लिए यूनेस्को का उत्कृष्ठता पुरस्कार-2015 भी मिल चुका है। यह वर्षों पुरानी परंपराओं, वास्तु शास्त्र से प्राप्त संरक्षण की तकनीकों को समेटे है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 16 Jun 2016 11:53 AM (IST)Updated: Fri, 17 Jun 2016 10:38 AM (IST)

केरल में है 'वडक्कुनाथन मंदिर' वडक्कुनाथन मलयाली भाषा का शब्द है। वडक्कुनाथन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर त्रिशूर में हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार त्रिशूर शहर भगवान शिव के त्रिशूल पर बसा है।

loksabha election banner

त्रिशूर महाभारतकालीन शहर है। यह वही मंदिर है जहां आदि शंकराचार्य के माता- पिता ने संतान प्राप्ति के लिए अनुष्ठान किये थे। वडकुनाथन मंदिर 60 एकड में फैला हुआ है जहां कभी घना सागौन का जंगल हुआ करता था।

भूतपूर्व कोचिन रियासत के महाराजा राम वर्मा (1790 – 1805) के समय त्रिशूर रियासत की राजधानी भी रही। यह नगर के मध्य में ही 9 एकड में फैला ऊंचे परकोटे वाला एक विशाल शिव मंदिर बनवाया था।

वडक्कुनाथन मंदिर में हर वर्ष आनापुरम महोत्सव आयोजित किया जाता है जिसमें हाथियों को खाना खिलाया जाता है। इस महोत्सव की शुरुआत सबसे छोटे हाथी को भोजन देकर हाथियों का भोज शुरू किया जाता है।

जहां उन्हें उन्हें गुड़, घी और हल्दी के साथ मिला चावल खाने को दिए जाते हैं। साथ ही भोजन में नारियल, गन्ना, केले और ककड़ी भी शामिल होते हैं।

भारत के वडक्कुनाथन मंदिर के संरक्षण के लिए यूनेस्को का उत्कृष्ठता पुरस्कार-2015 भी मिल चुका है। यह मंदिर वर्षों पुरानी परंपराओं तथा वास्तु शास्त्र से प्राप्त संरक्षण की तकनीकों को समेटे हुए है।

पाएं घर में सुख-शांति के लिए वास्तु टिप्स और विधि उपाय Daily Horoscope & Panchang एप पर. डाउनलोड करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.