यहां गुफा में जितनी जोर से शिव का जयकारा लगाते, उतनी ही तेजी से जल शिव पर टपकता है
प्रदेश के सीहोर जिले स्थित तहसील बुदनी से 25 किमी दूर स्थित है नकटीतलाई गांव-गांव से 5 किमी दूर विध्यांचल पर्वतों की पहाड़ियों में बीचों-बीच स्थित है टपकेश्वर मंदिर। मंदिर में प्राचीन प्राकृतिक शिवलिंग स्थापित है। मंदिर जाने के लिए श्रद्घालु दुर्गम रास्ते से होकर पहुंचते हैं।
होशंगाबाद/बुदनी। प्रदेश के सीहोर जिले स्थित तहसील बुदनी से 25 किमी दूर स्थित है नकटीतलाई गांव-गांव से 5 किमी दूर विध्यांचल पर्वतों की पहाड़ियों में बीचों-बीच स्थित है टपकेश्वर मंदिर। मंदिर में प्राचीन प्राकृतिक शिवलिंग स्थापित है। मंदिर जाने के लिए श्रद्घालु दुर्गम रास्ते से होकर पहुंचते हैं। इस मंदिर की खासियत है कि यहां भगवान शिव का बारह महीने प्राकृतिक जल से जलाभिषेक होता है।
वहीं गर्मी के दिनों में भी यहां पानी की कमी नहीं होती। यहां भगवान शिव एक छोटी सी गुफा में विराजित हैं। मंदिर में भोलेनाथ का अभिषेक- पूजन करने बारह महीने श्रद्घालुओं का आना जाना लगा रहता है। गुफा में जितनी जोर से श्रद्वालु भगवान शिव का जयकारा लगाते हैं, उतनी ही तेजी से रिसने वाला जल भोले बाबा पर टपकता है। निरंतर प्राकृतिक जल भगवान भोलेनाथ पर टपकता रहता है, इसलिए इसका नाम भगवान टपकेश्वर रखा है। बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने दूर-दूर से हजारों की संख्या में श्रद्वालु आते हैं। वैसे तो यहां हर मौसम में भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन श्रावण माह और बारिश में यहां जाने का विशेष आनंद है। प्राकृतिक सुंदर छटा आसमान सी उचाइयों को छूती पहाड़ियां किसी का भी मन मोह लेती है। बारिश के बाद यहां के पहाड़ों से झरने फूट पड़ते हैं। हरी-भरी घास में लिपटे खूबसूरत पहाड़, झरने, नदियों के संगम का विहंगम दृश्य यहां आने वाले श्रद्घालुओं को आकर्षित कर लेता है।