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इस गर्म जलकुंड में स्नान करने से मिलती है चर्मरोग से मुक्ति

यकीन मानिए... आश्चर्य तो है किंतु सौ टका सच कि हांडी भरे चावल को भू-गर्भ जलस्रोत के समीप रख दिया जाए तो बगैर आग जलाए ही महज पांच मिनट में भात बनकर तैयार हो जाएगा। यदि अंडा उबाल कर खाने की इच्छा होतो, उसे जलस्रोत से निकल रहे पानी में

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2015 01:27 PM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2015 02:10 PM (IST)
इस गर्म जलकुंड में स्नान करने से मिलती है चर्मरोग से मुक्ति

सोनभद्र। यकीन मानिए... आश्चर्य तो है किंतु सौ टका सच कि हांडी भरे चावल को भू-गर्भ जलस्रोत के समीप रख दिया जाए तो बगैर आग जलाए ही महज पांच मिनट में भात बनकर तैयार हो जाएगा। यदि अंडा उबाल कर खाने की इच्छा होतो, उसे जलस्रोत से निकल रहे पानी में डाल दीजिए वह भी कुछ मिनटों में उबल जाएगा। यह चमत्कारी भू-गर्भ जलस्रोत छत्तीसगढ़ के बलराम जिले के तातापानी गांव में है। जहां से कुछ दूर बने जलकुंड में नहाने से रोगों से भी मुक्ति मिल जाती है।

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कनहर नदी के उद्गम स्थल की खोज में निकली परियोजना की टीम को यह जलस्रोत अमवार स्थित कनहर सिंचाई परियोजना से करीब एक सौ चालीस किमी दूर छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिला मुख्यालय से करीब पच्चीस किमी पूर्व तातापानी गांव के समीप मिला। जहां जलस्रोत से एक दम खौलता हुआ पानी निकल रहा था। इसमें एकक्षण के लिए उंगली रखना भी संभव नहीं था। इस चमत्कारी स्थल को आसपास के ग्रामीणों ने दैवीय आस्था से जोड़ते हुए अनादिकाल से श्री तप्तेश्वर महादेव धाम का नाम दिया है , जहां पूजन-अर्चन लोग करते हैं। वहां मौजूद पुजारी ने बताया कि इस चमत्कारी पानी के स्नान मात्र से शरीर में व्याप्त चर्म रोगों से निजात मिल जाती है। वहीं आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि नमक मिश्रित पानी होने के कारण वे इस जल का उपयोग पेयजल के रूप में कदापि नहीं करते। सिंचाई आदि के लिए इस जल का उपयोग वे बारहों मास करते रहते हैं। इसके अलावा घर में यदि कभी कभार ईधन की कमी हो गई तो वे अपने भोजन बनाने वाले पात्र को उस खौलते पानी में रख देते हैं। जिससे उनके मनपसंद का भोजन तैयार हो जाता है।

छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड ने किया अधिग्रहित - जलस्रोत व जलकुंड की इन्हीं सब विशेषताओं को देखते हुए छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड उस इलाके को अधिग्रहित कर पर्यटनस्थल के रूप में विकसित करने में जुटा हुआ है। चमत्कारी जलस्रोत से निकलने वाले पानी को पाइप के माध्यम से अलग-अलग कुंडों में डाला जाता है। जिससे लोग उस पानी के ताप को अलग-अलग अंदाज में महसूस कर सकें। इसके अलावा पाइप के माध्यम से गर्म पानी को एक बड़े स्नान कुंड में डाला जाता है। इसके अलावा यहां सैलानियों को आकर्षित करने के लिए स्वीमिंग पुल व चिल्ड्रेन पार्क निर्माणाधीन है।

गर्म जल को पेयजल के रूप में इस्तेमाल करना घातक - छत्तीसगढ़ जल संशाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि गर्म जल के शोधन में फास्फोरस का अंश पाया गया है। जिसका पेयजल के रूप में इस्तेमाल करना घातक होता है। ग्रामीणों ने बताया कि सरकार द्वारा इस केमिकल युक्त पानी को पीने से मना कर दिया गया है, किंतु सरकार वहां शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इसकी वजह से लोगों को शुद्ध पानी के लिए करीब दो किमी का चक्कर लगाना पड़ता है।


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