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शिव का है वरदान इस गांव में सिर्फ एक बार जाने से हो जाती है गरीबी दूर

अगर आप गरीब हैं तो उत्तराखंड के इस गांव में आइए। यहां भगवान शिव की ऐसी महिमा है कि जो भी आता है उसकी गरीबी दूर हो जाती है। यहीं नहीं इस गांव को श्रापमुक्त जगह का दर्जा प्राप्त है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 12 Nov 2016 12:08 PM (IST)Updated: Sat, 12 Nov 2016 12:56 PM (IST)

अगर आप गरीब हैं तो उत्तराखंड के इस गांव में आइए। यहां भगवान शिव की ऐसी महिमा है कि जो भी आता है उसकी गरीबी दूर हो जाती है। यहीं नहीं इस गांव को श्रापमुक्त जगह का दर्जा प्राप्त है। ये माना जाता है कि यहां आने पर व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
उत्तराखंड के इस गांव में भगवान शिव की ऐसी महिमा है कि जो भी आता है उसकी गरीबी दूर हो जाती है। यहीं नहीं इस गांव को श्रापमुक्त जगह का दर्जा प्राप्त है। अगर आप गरीब हैं तो उत्तराखंड के इस गांव में आइए। यहां भगवान शिव की ऐसी महिमा है कि जो भी आता है उसकी गरीबी दूर हो जाती है। यहीं नहीं इस गांव को श्रापमुक्त जगह का दर्जा प्राप्त है।

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यह जगह है उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित देश का सबसे अंतिम गांव माणा। इसी के पास है जिससे होकर भारत और तिब्बत के बीच वर्षों से व्यापार होता रहा था। पवित्र बदरीनाथ धाम से 3 किमी आगे भारत और तिब्बत की सीमा स्थित इस यह गांव का नाम भगवान शिव के भक्त मणिभद्र देव के नाम पर पड़ा था। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी, हरिद्वार के उपाध्यक्ष पंडित बताते हैं कि इस गांव में आने पर व्यक्ति स्वप्नद्रष्टा हो जाता है। जिसके बाद वह होने वाली घटनाओं के बारे में जान सकता है।

पंडित के मुताबिक माणिक शाह नाम एक व्यापारी था जो शिव का बहुत बड़ा भक्त था। एक बार व्यापारिक यात्रा के दौरान लुटेरों ने उसका सिर काटकर कत्ल कर दिया। लेकिन इसके बाद भी उसकी गर्दन शिव का जाप कर रही थी। उसकी श्रद्धा से प्रसन्न होकर शिव ने उसके गर्दन पर वराह का सिर लगा दिया। इसके बाद माना गांव में मणिभद्र की पूजा की जाने लगी।

शिव ने माणिक शाह को वरदान दिया कि माणा आने पर व्यक्ति की दरिद्रता दूर हो जाएगी। यहां के पंडित बताते हैं कि मणिभद्र भगवान से बृहस्पतिवार को पैसे के लिए प्रार्थना की जाए तो अगले बृहस्पतिवार तक मिल जाता है। इसी गांव में गणेश जी ने व्यास ‌ऋषि के कहने पर महाभारत की रचना की थी। यही नहीं महाभारत युद्ध के समाप्त होने पर पांडव द्रोपदी सहित इसी गांव से होकर ही स्वर्ग को जाने वाली स्वर्गारोहिणी सीढ़ी तक गए थे।


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