मान्यता है कि 350 साल पुराने इस शनि मंदिर में मांगी गई मन्नत अवश्य पूर्ण होती
इंदौर के जूनी इंदौर में स्थित 350 साल पुराने शनि मंदिर में महिलाएं स्वतंत्र होकर तिल-तेल चढ़ाती हैं। इतना ही नहीं कई सालों तक इस मंदिर की पूरी बागडोर ही एक महिला पुजारी के हाथों में थी। भक्तों में ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी गई मन्नत शनिदेव अवश्य पूर्ण
इंदौर के जूनी इंदौर में स्थित 350 साल पुराने शनि मंदिर में महिलाएं स्वतंत्र होकर तिल-तेल चढ़ाती हैं। इतना ही नहीं कई सालों तक इस मंदिर की पूरी बागडोर ही एक महिला पुजारी के हाथों में थी। भक्तों में ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी गई मन्नत शनिदेव अवश्य पूर्ण करते हैं ।
महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर बवाल मचा हुआ है। बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के बाद शनि मंदिर में पूजा करने जा रही भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई और उनकी 26 समर्थकों को हिरासत में लिया गया था । स्थानीय लोग शनि मंदिर में महिलाओं की पूजा का विरोध कर रहे थे ऐसे में आपको बताएं की देश में एक ऐसा शनि मंदिर भी हैं जहां महिलाओं को लेकर कोई भेदभाव नहीं है। 350 साल पुराने इस मंदिर में महिलाएं भी शनि देव को तेल चढ़ाती हैं।
मंदिर के पुजारी के अनुसार, इस मंदिर में उनका परिवार पीढ़ियों से शनि देव की सेवा करता आ रहा है। उनके दादा की अचानक मृत्यु हो जाने से उनकी दादी ने ही कई सालों तक मंदिर का कार्यभार संभाला था।
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि इस मंदिर में शनि की पूजा करने में महिलाओं और पुरूषों के बीच कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। प्रत्येक शनिवार और शनि जयंती पर पुरुषों और महिलाओं दोनों की ही लाइन लगती है, जो तिल और तेल चढ़ाकर शनि देव की पूजा करते हैं।
किंवदंतियों के अनुसार करीब 300 वर्ष पूर्व मंदिर के स्थान पर 20 फुट ऊंचा टीला था, जहां वर्तमान पुजारी के पूर्वज पंडित गोपालदास तिवारी आकर ठहरे थे। एक रात शनिदेव ने गोपालदास को सपने में दर्शन दिए, गोपालदास दृष्टिहीन थे और इस सपने के बाद उन्हें दिखाई देने लगा। सपने में मिले आदेश के अनुसार गोपालदास ने टीले की खुदई करवाई, तो उसमें से शनिदेव की एक मूर्ति निकली। यही मूर्ति आज यहां स्थापित है। भक्तों में ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी गई मन्नत शनिदेव अवश्य पूर्ण करते हैं ।
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