मां अखंडवासिनी मंदिर: बढ़ा रहीं ज्ञान का मान
पटना के ऐतिहासिक गोलघर परिसर के पास मां अखंडवासिनी के मंदिर में त्रिकाल आरती की परंपरा वर्षो से चली आ रही है। आमतौर पर दोपहर में सभी मंदिरों के पट बंद हो जाते हैं, लेकिन यहां सुबह, दोपहर और शाम तीनों काल में आरती पूजन की परंपरा है। इसे त्रिकाल आरती कहा जाता है। अखंडवासिनी मंदिर केवल त्रिकाल आरती के
पटना। पटना के ऐतिहासिक गोलघर परिसर के पास मां अखंडवासिनी के मंदिर में त्रिकाल आरती की परंपरा वर्षो से चली आ रही है। आमतौर पर दोपहर में सभी मंदिरों के पट बंद हो जाते हैं, लेकिन यहां सुबह, दोपहर और शाम तीनों काल में आरती पूजन की परंपरा है। इसे त्रिकाल आरती कहा जाता है। अखंडवासिनी मंदिर केवल त्रिकाल आरती के लिए ही नहीं, हमेशा अखंड ज्योति जलने के लिए भी प्रसिद्ध है।
सिद्धि को आते श्रद्धालु
माना जाता है कि इस मंदिर में माता के सामने सच्चे मन से माथा टेकने वाले को अभिष्ट सिद्धि होती है। यहां सालभर मंगलवार के दिन भक्त हल्दी, फूल और नारियल चढ़ा मन्नते मांगते हैं। मंदिर में दोनों बाबा 24 घंटे मौजूद रहते हैं। नवरात्रि पर मंदिर में भारी भीड़ जुटी रहती है।
कैसे पहुंचे
पटना जंक्शन से मंदिर जाने के लिए गांधी मैदान जाने वाले आटो पर बैठकर गांधी मैदान उतरें, फिर वहां से पश्चिम दिशा में गोलघर के लिए चाहे रिक्शा या पैदल जा सकते हैं। गोलघर परिसर से सटी सड़क के किनारे मंदिर में मां का दिव्य स्वरूप दिखता है।
मां अखंडवासिनी मंदिर100 साल से भी पुराना
जानकार बताते हैं कि 1904 से यहां अखंड दीप जलने का साक्ष्य मिलता है। बाबा अमरनाथ तिवारी के अनुसार मौनिया बाबा की प्रेरणा से उनके शिष्य ब्रम्हचारी कविराज डॉ. विश्वनाथ तिवारी ने यहां माता के समक्ष अखंड ज्योति जलाना शुरू किया। उनके बाद अमरनाथ तिवारी उर्फ राजू बाबा और उनके छोटे भाई पं.बासुकीनाथ तिवारी उर्फ मुन्ना बाबा इस परंपरा को चला रहे हैं।