प्रमुख जैन तीर्थ
अयोध्या: जैन परंपरा में अयोध्या का अत्यंत महत्व है। यहां पांच तीर्थेकरों ने जन्म लिया, जिसमें प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव का नाम विशेष उल्लेखनीय है। श्रावस्ती: उत्तर प्रदेश में ही स्थित यह तीर्थ तीसरे तीर्थकर संभवनाथ जी की जन्मभूमि है। इसे सहेस महेस भी कहते हैं। कौशांबी: इलाहाबाद-कानपुर के बीच स्थित इस स्थान पर छठे तीर्थकर पद्मप्रभ का जन्म हुआ। यहीं
अयोध्या: जैन परंपरा में अयोध्या का अत्यंत महत्व है। यहां पांच तीर्थेकरों ने जन्म लिया, जिसमें प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव का नाम विशेष उल्लेखनीय है।
श्रावस्ती: उत्तर प्रदेश में ही स्थित यह तीर्थ तीसरे तीर्थकर संभवनाथ जी की जन्मभूमि है। इसे सहेस महेस भी कहते हैं।
कौशांबी: इलाहाबाद-कानपुर के बीच स्थित इस स्थान पर छठे तीर्थकर पद्मप्रभ का जन्म हुआ। यहीं प्रभास नामक पर्वत पर उन्होंने तप किया।
हस्तिनापुर: कुरुवंश की राजधानी हस्तिनापुर में शांति, कुंथु और अर नामक तीर्थकरों ने जन्म लिया।
सम्मेद शिखर: मान्यता है कि बिहार के हजारीबाग जिले में स्थित इस पर्वत पर बीस तीर्थकरों ने मुक्ति पाई थी।
पावापुर: बिहार में नालंदा के निकट स्थित इस स्थान पर महावीर स्वामी ने निर्वाण प्राप्त किया था।
राजगृह: यहां स्थित पांच पहाड़ों में से एक पर्वत विपुलांचल पर ही महावीर स्वामी की प्रथम धर्मदेशना हुई थी।
कैलास पर्वत: यहां आदि तीर्थकर ऋषभदेव ने निर्वाण प्राप्त किया।
गिरनार: सौराष्ट्र में जूनागढ़ के निकट स्थित इस स्थान पर तीर्थकर नेमिनाथ ने निर्वाण प्राप्त किया।
श्रवणबेलगोला: कर्नाटक में हासन के निकट स्थित इस स्थान पर गोमतेश्वर बाहुबली की विशालकाय मूर्ति है।
माउंटआबू: राजस्थान में स्थित इस तीर्थ पर दिलवाड़ा के विख्यात जैन मंदिर हैं, जिनमें संगमरमर की बारीक नक्काशी है।
पाटण एवं अहमदाबाद: पाटण में दो सौ और अहमदाबाद में सौ से अधिक जैन मंदिर हैं।
केसरियानाथ: मेवाड़ के इस तीर्थ में ऋषभदेव की मूर्ति की उपासना केसर से की जाती है, जिसके कारण उन्हें केसरियानाथ कहते हैं।
[साभार: देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार]