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ऐसी मान्‍यता है कि, यहां के ये कष्‍टभंजन हनुमान भक्‍तों को हर कष्‍ट से मुक्ति दिलाते हैं

क्योंकि यहां शनि बजरंग बली के चरणों में स्त्री रूप में दर्शन देते हैं। तभी तो जो भक्त शनि प्रकोपों से परेशान होते हैं वे यहां आकर नारियल चढ़ाकर समस्त चिंताओं से मुक्ति पा जाते

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 04 Jul 2016 01:55 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jul 2016 10:30 AM (IST)
ऐसी मान्‍यता है कि, यहां के ये कष्‍टभंजन हनुमान भक्‍तों को हर कष्‍ट से मुक्ति दिलाते हैं

गुजरात के भावनगर के सारंगपुर में विराजने वाले कष्टभंजन हनुमान यहां महाराजाधिराज के नाम से राज करते हैं। वे सोने के सिंहासन पर विराजकर अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं। कहते हैं कि बजरंग बली के इस दर पर आकर भक्तों का हर दुख, उनकी हर तकलीफ का इलाज हो जाता है। फिर चाहे बात बुरी नजर की हो या शनि के प्रकोप से मुक्ति की

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हनुमान ने अपने बाल रूप में ही सूर्यदेव को निगल लिया था। उन्होंने राक्षसों का वध किया और लक्ष्मण के प्राणदाता भी बने । बजरंग बली ने समय-समय पर देवताओं को अनेक संकटों से निकाला। पवनपुत्र आज भी अपने इस धाम में भक्तों के कष्ट हर लेते हैं, इसलिए उन्हें कष्टभंजन हनुमान कहते हैं। हनुमान के इस इस दर पर आते ही हर कष्ट दूर हो जाता है। यहां आकर हर मनोकामना पूरी होती है

विशाल और भव्य किले की तरह बने एक भवन के बीचों-बीच कष्टभंजन का अतिसुंदर और चमत्कारी मंदिर है।केसरीनंदन के भव्य मंदिरों में से एक कष्टभंजन हनुमान मंदिर भी है। गुजरात में अहमदाबाद से भावनगर की ओर जाते हुए करीब 175 किलोमीटर की दूरी पर कष्टभंजन हनुमान का यह दिव्य धाम है

किसी राज दरबार की तरह सजे इस सुंदर मंदिर के विशाल और भव्य मंडप के बीच 45 किलो सोना और 95 किलो चांदी से बने एक सुंदर सिंहासन पर हनुमान विराजते हैं। उनके शीश पर हीरे जवाहरात का मुकुट है और पास ही एक सोने की गदा भी रखी है। संकटमोचन के चारों ओर प्रिय वानरों की सेना दिखती है और उनके पैरों शनिदेवजी महाराज हैं, जो संकटमोचन के इस रूप को खास बना देते हैं

बजरंग बली के इस रूप में भक्तों की अटूट आस्था है और वे यहां दूर-दूर से खिंचे चले आते हैं। मान्यता है कि पवनपुत्र का स्वर्ण आभूषणों से लदा हुआ ऐसा भव्य और दुर्लभ रूप कहीं और देखने को नहीं मिलता है। हनुमत लला की ये प्रतिमा अत्यंत प्राचीन है, तो इस रूप में अंजनिपुत्र की शक्ति सबसे निराली

कष्टभजंन हनुमान के इस मंदिर में दो बार आरती का विधान है, पहली आरती सुबह 5.30 बजे होती है। आरती से पहले पवनपुत्र का रात्रि श्रृंगार उतारा जाता है फिर नए वस्त्र पहनाकर स्वर्ण आभूषणों से उनका भव्य श्रृंगार किया जाता है और इसके बाद वेद मंत्रों और हनुमान चालीसा के पाठ के बीच संपन्न होती है हनुमान लला की यह आरती

बजरंग बली के इस मंदिर में वैसे तो रोजाना ही भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन मंगलवार और शनिवार को यहां लाखों भक्त आते हैं। नारियल, पुष्प और मिठाई का प्रसाद केसरीनंदन को भेंट कर प्रार्थना करते हैं। कुछ भक्त तो मात्र शनि प्रकोपों से मुक्ति के लिए यहां आते हैं क्योंकि वो जानते हैं कि वो तो शनिदेव से डरते हैं लेकिन शनि देव अगर किसी से डरते हैं तो वे हैं स्वयं संकटमोचन हनुमान

कष्टभजंन हनुमान की मंगलवार और शनिवार को विशेष आराधना होती है। भक्त अपने कष्टों और बुरी नजर के दोषों को दूर करने की कामना लेकर यहां आते हैं और मंदिर के पुजारी से बजरंग बली की पूजा करवाकर कष्टों से मुक्ति पाते हैं

क्या है इस धाम की विशेषता

बजरंग बली के इस धाम को उनके अन्य मंदिरों से अलग विशेष स्थान दिलाती है उनके पैरों में विराजमान शनि की मूर्ति। क्योंकि यहां शनि बजरंग बली के चरणों में स्त्री रूप में दर्शन देते हैं। तभी तो जो भक्त शनि प्रकोपों से परेशान होते हैं वे यहां आकर नारियल चढ़ाकर समस्त चिंताओं से मुक्ति पा जाते हैं

आप जानना चाहते होंगे कि आखिर शनिदेव को क्यों लेना पड़ा स्त्री रूप और वो क्यों हैं बजरंग बली के चरणों में।कहते हैं करीब 200 साल पहले भगवान स्वामी नारायण इस स्थान पर सत्संग कर रहे थे। स्वामी बजरंग बली की भक्ति में इतने लीन हो गए कि उन्हें हनुमान के उस दिव्य रूप के दर्शन हुए जो इस मंदिर के निर्माण की वजह बना। बाद में स्वामी नारायण के भक्त गोपालानंद स्वामी ने यहां इस सुंदर प्रतिमा की स्थापना की

कहा जाता है कि एक समय था जब शनिदेव का पूरे राज्य पर आतंक था, लोग शनिदेव के अत्याचार से त्रस्त थे।आखिरकार भक्तों ने अपनी फरियाद बजरंग बली के दरबार में लगाई. भक्तों की बातें सुनकर हनुमान जी शनिदेव को मारने के लिए उनके पीछे पड़ गए। अब शनिदेव के पास जान बचाने का आखिरी विकल्प बाकी था सो उन्होंने स्त्री रूप धारण कर लिया। क्योंकि उन्हें पता था कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं और वो किसी स्त्री पर हाथ नहीं उठायेंगे। ऐसा ही हुआ, पवनपुत्र ने शनिदेव को मारने से इनकार कर दिया। लेकिन भगवान राम ने उन्हें आदेश दिया, फिर हनुमानजी ने स्त्री स्वरूप शनिदेव को अपने पैरों तले कुचल दिया और भक्तों को शनिदेव के अत्याचार से मुक्त किया

मान्यता है बजरंग बली के इसी रूप ने शनि के प्रकोप से मुक्त किया। इसिलिए यहां की गई पूजा से शनि के समस्त प्रकोप तत्काल दूर हो जाते हैं, तभी तो दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं और शनि की दशा से मुक्ति पाते हैं. क्योंकि भक्तों का ऐसा विश्वास है कि केसरीनंदन के इस रूप में 33 कोटि देवी देवताओं की शक्ति समाहित है. इस हनुमान मंदिर के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा है. क्योंकि यहां भक्तों को बजरंग बली के साथ शनि देव का आशीर्वाद भी मिल जाता है। कहते हैं यहां अगर कोई भक्त नारियल चढ़ाकर अपनी कामना बोल दे तो उसकी झोली कभी खाली नहीं रहती. शनि दशा से मुक्ति तो मिलती ही है साथ ही संकटमोचन का रक्षा कवच भी मिल जाता है


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