पहाड़ी मंदिर: भारत का एक मात्र मंदिर जहां राष्ट्रीय पर्वो पर फहराया जाता है तिरंगा
रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलो मीटर की दुरी पर रांची हिल पर शिवजी का अति प्राचीन मंदिर स्थित है जिसे की पहाड़ी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर धार्मिकता के साथ साथ देशभक्तो के बलिदान के लिए भी जाना जाता है।
रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलो मीटर की दुरी पर रांची हिल पर शिवजी का अति प्राचीन मंदिर स्थित है जिसे की पहाड़ी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर धार्मिकता के साथ साथ देशभक्तो के बलिदान के लिए भी जाना जाता है।
यह मंदिर देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां 15 अगस्त और 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा शान से फहराया जाता है। यह परम्परा यहां पर 1947 से ही चली आ रही है।
देशभक्तो को यहां दी जाती थी फांसी-
पहाड़ी बाबा मंदिर का पुराना नाम टिरीबुरू था जो आगे चलकर ब्रिटिश हुकूमत के समय फाँसी टुंगरी में परिवर्तित हो गया क्योकि अंग्रेजो के राज में देश भक्तो और क्रांतिकारियों को यहां फांसी पर लटकाया जाता था। आजादी के बाद रांची में पहला तिरंगा धवज यही पर फहराया गया था जिसे रांची के ही एक स्वतंत्रता सेनानी कृष्ण चन्द्र दास से फहराया था।
उन्होंने यहां पर शहीद हुए देश भक्तो की याद व सम्मान में तिरंगा फहराया था तथा तभी से यह परम्परा बन गई की स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस को यहाँ पर तिरंगा फहराया जाता है। राष्ट्र ध्वज को धर्म ध्वज से ज्यादा सम्मान देते हुए उसे मदिर के ध्वज से ज्यादा ऊंचाई पर फहराया जाता है। पहाड़ी बाबा मंदिर में एक शिलालेख लगा है जिसमें 14 अगस्त, 1947 को देश की आजादी संबंधी घोषणा भी अंकित है।
मंदिर से दिखती है रांची शहर की मनोरम छवि-
यह मंदिर समुद्र तल से 2140 मीटर तथा धरातल से 350 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचाने के लिए 468 सीढिय़ां चढऩी पड़ती है। मंदिर प्रांगण से पुरे रांची शहर का खुबसूरत नज़ारा दिखाई देता है।
पर्यावरण प्रेमियों के लिए भी यह मंदिर महत्वपूर्ण है क्योंकि पूरी पहाड़ी पर मंदिर परिसर के इर्द-गिर्द विभिन्न भांति के हजार से अधिक वृक्ष हैं। साथ ही यहा से सूर्योदय और सूर्यास्त का अनुपम सौंदर्य भी देखा जा सकता है। पहाड़ी मंदिर में भगवान शिव की लिंग रूप में पूजा की जाती है। शिवरात्रि तथा सावन के महीने में यहां शिव भक्तों की विशेष भीड़ रहती है।
पहाड़ी बाबा मंदिर परिसर में मुख्य रूप से मंदिर है
1. भगवान शिव मंदिर
2. महाकाल मंदिर
3. काली मंदिर
4. विश्वनाथ मंदिर
5. हनुमान मंदिर