गुरु गोबिंद की याद दिलाए गुंबदसर गुरुद्वारा
हरियाणा में ऐसे अनेक धार्मिक स्थान हैं जो आस्था, भव्यता, कला व ऐतिहासिकता के कारण दूर-दूर तक प्रसिद्ध हैं तथा इन धार्मिक स्थलों पर वर्षभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। फतेहाबाद जिले के रतिया कस्बे के उत्तर-पूर्व में स्थित गुरुद्वारा गुंबदसर भी वह धार्मिक स्थल है जहां हर अमावस्या को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है
हरियाणा में ऐसे अनेक धार्मिक स्थान हैं जो आस्था, भव्यता, कला व ऐतिहासिकता के कारण दूर-दूर तक प्रसिद्ध हैं तथा इन धार्मिक स्थलों पर वर्षभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। फतेहाबाद जिले के रतिया कस्बे के उत्तर-पूर्व में स्थित गुरुद्वारा गुंबदसर भी वह धार्मिक स्थल है जहां हर अमावस्या को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि गुरुद्वारा गुंबदसर में स्थित प्राचीन गुंबद में सिखों के दसवें गुरुगोबिंद सिंह सिरसा से गांव खुंडाल जाते हुए ठहरे थे तथा यहां पर रात्रि विश्राम किया था।
गुरुद्वारा गुंबदसर परिसर में स्थित प्राचीन गुंबद की कला का भी कोई सानी नहीं है। लखौरी ईटों और चूने से बने इस गुंबद का ऊपर की तरफ जैसे-जैसे घेरा कम होता जाता है वैसे-वैसे दीवारों की मोटाई भी कम होती जाती है। श्रद्धालु इसे कुदरत का करिश्मा मानते हैं कि घग्घर नदी में कई बार बाढ़ आई और सब कुछ नष्ट होता रहा लेकिन प्राचीन गुंबद दशकों से ज्यों का त्यों है। प्राचीन गुंबद के महत्व को देखते हुए गुंबद के पास भव्य गुरुद्वारा बनाया गया है जिसकी दूसरी मंजिल पर गुरुग्रंथ साहिब का प्रकाश है। इस चार मंजिले गुरुद्वारा साहिब की भव्यता देखते ही बनती है।
प्राचीन गुंबद और गरुद्वारे के मध्य स्थित निशान साहिब इस गुरुद्वारे को और भी शोभायमान करता प्रतीत होता है। हर अमावस्या को असंख्य श्रद्धालु प्राचीन गुंबद के साथ-साथ गुरुग्रंथ साहिब को माथा टेकते हैं तथा मन्नतें मांगते हैं। यहां पर अटूट लंगर भी चलता रहता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि गुरुद्वारा गुंबदसर में लगातार पांच अमावस्या माथा टेकने से हर मनोकामना पूर्ण होती है।